कानपुर। ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है।ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती मूंगफली खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है। मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है। यदि किसान भाई मूंगफली की खेती करता है तो उससे भूमि सुधार के साथ-साथ किसान की आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है. इसका प्रयोग तेल के रूप मे, कपड़ा उद्योग मे तथा बटर बनाने मे किया जाता है..। निराई -गुड़ाई : बुवाई के 20 दिन बाद पहली निराई गुड़ाई एवं दूसरीनिराई -गुड़ाई 40 से 50 दिन में करनी चाहिए तथा दूसरी निराई के समय जिप्सम की 150 किलोग्राम मात्रा का बुरकाव कर मिट्टी में मिला देना चाहिए। खूंटिआ बनते समय निराई गुड़ाई कदापि. नहीं करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण हेतु हेतु पेंडीमेथलीन 30% की3.3लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन जमाव से पहले छिड़काव करना चाहिए। सिचाई : मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए फसल की बुवाई पलेवा करने के बाद करनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन मूंगफली में 4:00 से 5:00सिंचाई करनी चाहिए.। पहली सिंचाई जमाव पूर्ण होने के पश्चात बुवाई के 20 से 22 दिन बाद दूसरी सिंचाई 35 दिन की फसल होने पर तथा तीसरी सिंचाई 50 से 55 दिन बाद अवश्य करनी चाहिए। चौथी सिंचाई फली बनते समय बुवाई के 65 से 70 दिन बाद तथा पांचवी सिंचाई बुवाई के 80 से 85दिन बाद फलिओ में दाना भरते समय करनी चाहिए। खुदाई एवं भण्डारण : सामान्य तौर पर जब पत्तियों का रंग पीला करने लगे या पत्तिआ झरने लगे तो समझ लेना चाहिए कि मूंगफली पूरी तरह पक गई है। पकी मूंगफली में छिलके पर नशे उभर आती है एवं भीतरी भाग कत्थई रंग का तथा दाने गुलाबी रंग के हो जाते हैं। तुड़ाई के बाद फलियों को अच्छी तरह तब तक सुखाएं जब तक इस में पानी की मात्रा 10% ना रह जाए तत्पश्चात भंडारण करना चाहिए.। मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है। यदि किसान भाई मूंगफली की खेती करता है तो उससे भूमि सुधार के साथ-साथ किसान की आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है. इसका प्रयोग तेल के रूप मे, कपड़ा उद्योग मे तथा बटर बनाने मे किया जाता है..। निराई -गुड़ाई : बुवाई के 20 दिन बाद पहली निराई गुड़ाई एवं दूसरीनिराई -गुड़ाई 40 से 50 दिन में करनी चाहिए तथा दूसरी निराई के समय जिप्सम की 150 किलोग्राम मात्रा का बुरकाव कर मिट्टी में मिला देना चाहिए। खूंटिआ बनते समय निराई गुड़ाई कदापि. नहीं करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण हेतु हेतु पेंडीमेथलीन 30% की3.3लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन जमाव से पहले छिड़काव करना चाहिए। सिचाई : मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए फसल की बुवाई पलेवा करने के बाद करनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन मूंगफली में 4:00 से 5:00सिंचाई करनी चाहिए.। पहली सिंचाई जमाव पूर्ण होने के पश्चात बुवाई के 20 से 22 दिन बाद दूसरी सिंचाई 35 दिन की फसल होने पर तथा तीसरी सिंचाई 50 से 55 दिन बाद अवश्य करनी चाहिए। चौथी सिंचाई फली बनते समय बुवाई के 65 से 70 दिन बाद तथा पांचवी सिंचाई बुवाई के 80 से 85दिन बाद फलिओ में दाना भरते समय करनी चाहिए। खुदाई एवं भण्डारण : सामान्य तौर पर जब पत्तियों का रंग पीला करने लगे या पत्तिआ झरने लगे तो समझ लेना चाहिए कि मूंगफली पूरी तरह पक गई है। पकी मूंगफली में छिलके पर नशे उभर आती है एवं भीतरी भाग कत्थई रंग का तथा दाने गुलाबी रंग के हो जाते हैं। तुड़ाई के बाद फलियों को अच्छी तरह तब तक सुखाएं जब तक इस में पानी की मात्रा 10% ना रह जाए तत्पश्चात भंडारण करना चाहिए.।
रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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