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Saturday, May 29, 2021

अहिल्याबाई होल्कर का जयंती उत्सव पटना पक्षी विहार जलेसर एटा में मनाया गया

एटा। कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्र निर्माण संघ के तत्वाधान में अहिल्याबाई होल्कर का जयंती उत्सव पटना पक्षी विहार जलेसर एटा में मनाया गया।आरएसएस खंड कार्यवाह विनोद कुमार जी जलेसर एटा , जीतू बघेल एक्टर और योगेश बघेल जलेसर , नरेंद्र सिंह फौजी बुधेरा, राकेश धनगर कोसमा, विकास बघेल मुड़ई प्रहलाद नगर, दाऊ दयाल बघेल खेरिया, क्षेत्र पंचायत सदस्य हरेंद्र सिंह धनगर पटना पक्षी विहार जलेसर, सोनू धनगर , सुनील धनगर जलेसर एटा सभी लोग मौजूद रहे अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनाते हुए और सभी देशवासियों से अपील है कि 31 मई को अपने अपने घर शाम को २१ दीपक अवश्य जलाएं।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खंड कार्यवाह जलेसर विनोद कुमार जी ने संगठन पर अधिक बल दिया गया जब तक आपका संगठन मजबूत नहीं होगा तब तक आप राजनीति में या किसी भी स्तर पर पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाएंगे बार-बार आपसे संगठन के लिए निवेदन के साथ राष्ट्र निर्माण संघ को मजबूत करने पर बल प्रदान किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी हार्दिक अभिनंदन व्यक्त किया कि वह राष्ट्र निर्माण की बात करते हैं और और जीतू बघेल ने राष्ट्र निर्माण संघ के द्वारा के द्वारा गरीब और बेसहारा कन्याओं के लिए मदद करने का भी आश्वासन दिया गया निकट भविष्य में ऐसी बहुत सारी क्रियाएं संगठन के द्वारा संचालित की जाती रहेंगी और आने वाले समय में बेसहारा गरीब शोषित मजदूर व्यक्तियों का सर्वांगीण विकास के लिए संगठन कार्य कर्ता रहेगा।बी एस बघेल ने देवी अहिल्याबाई होलकर का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि दुनिया कहती है जिसका ‘उदय’ होता है उसका ‘अस्त’ होना तय है लेकिन जो ‘अस्त’ होता है उसका ‘उदय’ होना भी तय है। 18वीं शताब्दी में धनगरों का इतिहास वैभवशाली और कीर्तिमान स्थापित करने वाला था जिसका अन्त "होलकर साम्राज्य" के पतन के साथ हो गया और आज आज़ादी के 73 सालों बाद भी धनगरों का उदय उस वैभव के साथ नहीं हो सका। लेकिन अब धनगर गड़रिया वैसा नहीं रहा जैसा पहले था। अब धनगरों ने मन बना लिया है। 29 साल आदर्श राज्य कारभार करने वाली, सर्वोत्तम महिला, राज्यकर्ता, राजमाता, राष्ट्रमाता, पुण्यश्लोक अहिल्याबाई खंडेराव होलकर जी को कोटि कोटि नमन करते हुए अपने समाज को यह बताकर जागरूक करना है कि जिस प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज पुरुषों में सर्वोत्तम राजा थे ठीक वैसे पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर स्त्रियों में सर्वश्रेष्ठ शासिका थीं। कहा जाता है कि जब-जब इस सृष्टि में अन्याय, अत्याचार और अधर्म का जन्म होगा तब तब इनको खत्म करने के लिए कोई न कोई इस देश की मिट्टी में जन्म लेगा। इसी का नतीजा दुनिया ने अपनी आँखों से देखा और 31 मई 1725 में अहमदनगर जिले के "चौड़ी" गाँव में धनगर (गड़रिया) मराठा वतनदार माणकोजी और सुशीला शिंदे के यहाँ एक कन्या का जन्म हुआ। जिसके तेज के साक्षात सूर्य भी शरमा गया।यह वही "अहिल्या" हैं जिन्होंने सत्य का मंत्र इस्तेमाल करते हुए विकास का तंत्र इस हिन्दुस्तान की मिट्टी से जोड़ा। यह वही "अहिल्या" हैं जो चूल्हा चौका से बाहर निकल कर एक हाथ में शस्त्र व दूसरे में शास्त्र लेकर पूरे 29 साल कुशलतापूर्वक राज्य कारभार किया। साल 1733 में सिर्फ 8 साल की उम्र में महापराक्रमी सरदार "मल्हारराव होलकर" के सुपुत्र "खंडेराव" का विवाह अहिल्याबाई के साथ हुआ। पुण्यश्लोक अहिल्याबाई के राज्य कारभार की छाप उस मल्हारराव होलकर की ज्यादा रही जो सामर्थ्यवान, पराक्रमी और विश्वासपात्र अपनी प्रजा के लिए रहे। अपने कौशल पराक्रम के बल पर मल्हारराव ने अपनी 8 साल की बहू को युद्धनीति के साथ ही साथ तलवारबाज़ी और निडरता का जौहर सिखाया जो कालान्तर में उनके पति खंडेराव ने आगे बढ़ाते हुए उन्हें पराक्रम के साथ ही साथ धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र और राजनीति शास्त्र में मजबूत किया। लेकिन होलकर साम्राज्य के पतन के बाद के कुछ इतिहासकार खंडेराव के बारे गलत धारणायें रखीं मगर खंडेराव होलकर एक पराक्रमी योद्धा थे जो मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। पति की मृत्यु हो जाने के बाद अहिल्याबाई होलकर के ससुर मल्हाररव ने उनके अंदर जौहर का वो बीज बोया कि उस दौर की सामाजिक कुप्रथा सतीत्व को रानी ने दरकिनार कर दिया। मल्लारराव ने बताया कि होलकरों ने यह "होलकर साम्राज्य" अपनी वीरता और पराक्रम के दम पर हासिल किया है न कि गुलामगीरी करके। होलकरों के राज्य मे उस समय कश्मीर के नंदनवन से लेकर मलईगिरी के चंदनवन तक और काटेवाड़ से लेकर कलकत्ते तक अहिल्याबाई ने करीब 4000 से अधिक मंदिर बनवाये। मंदिरों का जीर्णोध्दार करवाया, घाट और धर्मशालायें बनवाये और इन सबका निर्माण राजकोष से नहीं बल्कि व्यक्तिगत कोष से किया गया। 

रिपोर्ट - बी एस बघेल
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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