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Wednesday, May 12, 2021

हरी सब्जियों मे चौलाई है विटामिन सी से भरपूर


कानपुर। डॉ, अरविंद कुमार, वैज्ञानिक एवं डॉ, अशोक कुमार अध्यक्ष, के, वी, के, दलीपनगर। चौलाई पौधों की एक प्रजाति है। चौलाई का सेवन भाजी एवं साग (लाल साग) के रूप में किया जाता है। जो विटामिन सी से भरपूर होता है। इसमें अनेको औषधीय गुण होते हैं। इस लिए आयुर्वेद में चौलाई को अनेक रोगों में उपयोगी बताया गया है। सबसे बड़ा गुड सभी प्रकार के विषो का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन भी कहा जाता है। इसमें सोना धातु पाया जाता है। जो किसी अन्य साग - सब्जियों में नहीं पाया जाता है। औषधि के रूप में चौलाई के पंचाग यानि - पाचो अँग - जड़, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाये जाते हैं। इसकी डॅडियो, पक्तियो में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। लाल साग चौलाई का एनीमिया में प्रयोग लाभ दायक होता है। पेट के रोगों के लिए गुणकारी होती है क्योंकि इसमें रेशे, क्षार दृव्य होते हैं जो आँतों में चिपके मल को निकाल कर उसे बाहर ढकेलने में मदद करते हैं। जिससे पेट साफ़ होता है, कब्ज दूर होता है, पाचनतंत्र को शक्ति मिलती है। छोटे बच्चों के कब्ज में चौलाई का औषधि के रूप में 2 - 3 चम्मच रस लाभदायक होता है। प्रसव के बाद दूध पिलाने वाली माताओं के लिए भी यह उपयोगी है। यदि दूध की कमी हो तो भी चौलाई के साग का सेवन लाभदायक होता है। इसकी जड को पीसकर चावल के माड में डाल कर, शहद मिलाकर पीने से श्वेत प्रदर रोग ठीक होता है। जिन महिलाओं को बार - बार गर्भपात होता हो उनके लिए चौलाई के साग का सेवन लाभकारी है। अनेक प्रकार के विष जैसे चूहे, विचछू, सँखिया आदि का विष चढ गया हो तो चौलाई का रस या जड के कवाथ में काली मिर्च डालकर पीने से विष दूर हो जाता है। चौलाई का नित्य सेवन करने से अनेक विकार दूर हो जाते हैं।            

रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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