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Monday, June 21, 2021

बासमती धान की खेती - आय का स्रोत

कानपुर। बासमती धान विश्व में अपनी एक विशिष्ट सुगंध तथा स्वाद के लिए भली-भांति जाना जाता है। बासमती धान की खेती भारत में पिछले सैकड़ों वर्षों से होती रही है। भारत तथा पाकिस्तान को बासमती धान का जनक माना जाता है। हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता प्राप्त करके बासमती धान की विश्व में मांग तथा भविष्य में निर्यात  की अत्यधिक संभावनाओं को देते हुए देखते हुए इस की वैज्ञानिक खेती काफी महत्वपूर्ण हो गई है। प्रजातियों का चयन बासमती धान की अच्छी पैदावार तथा उत्तम गुणवत्ता लेने के लिए अच्छी प्रजाति का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक अच्छी प्रजाति में निम्नलिखित गुण होने चाहिए। 1.अधिक पैदावार 2. उत्तम गुणवत्ता 3.  कीट  तथा रोग के लिए प्रतिरोधी 4. कम ऊंचाई तथा कम समय में पकने वाली 5. बाज़ार में अधिक मांग तथा अच्छी कीमत वाली होनी चाहिए। 
बासमती धान की प्रमुख उन्नतशील प्रजातियां
बासमती 370, तरावड़ी बासमती, सीएसआर 30, पूसा बासमती 1, पूसा सुगंध 2, पूसा सुगंध 3 ,पंत सुगंध 1 , पूसा सुगंध 4, पूसा सुगंध 5, एवं नरेंद्र सुगंध आदि।
बीज की मात्रा
प्रजाति के अनुसार बासमती धान के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है।
पौध तैयार करना
बासमती धान की पौध तैयार करने के लिए उपजाऊ अच्छे जल निकास तथा सिंचाई स्रोत के पास वाले खेत का चयन करना चाहिए। 700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए पौध तैयार की जा सकती है। बीज की बुवाई का उचित समय जल्दी पकने वाली प्रजातियों के लिए जून का दूसरा पकवाड़ा है तथा देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई मध्य जून तक कर देनी चाहिए। पौधशाला में सड़ा हुआ गोबर या कंपोस्ट खाद को मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला देना चाहिए। खेत को पानी से भर कर दो या तीन जुताई करके पाटा लगा देना चाहिए। खेत को छोटी-छोटी तथा थोड़ी ऊंची उठी हुई क्यारियों में बांट लेना चाहिए। बीज की बुवाई से पहले 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 225 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 100 ग्राम यूरिया तथा 200 ग्राम सुपर फास्फेट क्यों अच्छी तरह मिला देना चाहिए। आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई सिंचाई तथा खरपतवार की रोकथाम का उचित प्रबंधन करना चाहिए। खेत में ज्यादा समय तक पानी रुकने नहीं देना चाहिए। *डॉ अरविंद कुमार, वैज्ञानिक एवं डॉ अशोक कुमार, अध्यक्ष केवीके दिलीप नगर कानपुर देहात ने बताया।             

रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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