कानपुर। बिठेर मे गंगा दशहरा के पावन पर्व पर कानपुर ही नहीं अन्य जिलों से आए लगभग 70 हजार श्रद्धालुओं ने भोर से ही बिठूर के आधा दर्जन कच्चे पक्के घाट ब्रह्मा व्रत घाट, रानी लक्ष्मीबाई घाट, पत्थर घाट, गोदारा घाट, भैरव घाट, कौरव पांडव घाट, पर गंगा की निर्मल धारा में गंगा स्नान कर दान पुण्य किया और गंगा मां से अपने परिवार की कुशलता की कामना की। बताते चलें हजारो वर्ष पूर्व आज ही के दिन भगवती गंगा पितामह ब्रह्मा जी के कमण्डल से विष्णू भगवान का चर्णोदक के रूप मे गंगा जी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था जिनका वेग पृथ्वी पर भगवान भोले नाथ ने अपनी जटा मे समाहित कर लिया था। और ऐसी की मान्यता है कि आज ही के दिन आल्हा के पुत्र इन्दल का अपहरण जादूगरनी मचला ने किया था और अपने पिंजडे मे इन्दोर को तोता बना कर रख लिया था। फत्ते चाले देश की आजारी से पहले बिठूर जहां बावन घाट का निर्माण तब बावन गढी के राजाओ ने बनवाए थे और इसी स्थान पर अपने रावटी बनाकर विभिन्न प्रकार के खेल किया करते थे। जिसमे कुस्ती, मलखम्ब तलवार बाजी आदि का प्रदर्शन किया जाता था। राजे यही पर रहकर अपने राज कार्य का संचालन किया करते थे । यू तो कार्तिक पूर्णिमा का मेला बिठूर तीर्थ लगने वाला सबसे बड़ा मेला माना जाता है लेकिन अब वह बात नही रही । नवागंतुक प्रभारी निरीक्षक शैलेंद्र सिंह के कुशल मार्गदर्शन में घाटों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात रहा जिसके वजह से किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हो सकी वही छुटपुट जाम के बाद यातायात व्यवस्था भी शुरू रही। कितना ही नहीं कई ऐसे परिवार के सदस्य जो अपनों से बिछड़ गए थे उन्हें भी बिठूर पुलिस की सतर्कता ने अपनों तक पहुंचाया।
रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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