कानपुर। नगर में मुसीबत में फंसे बच्चों की आकस्मिक मदद के लिए संचालित चाइल्डलाइन कानपुर ने विश्व बाल मजदूर विरोध दिवस की पूर्व संध्या पर एक रिर्पोट जारी करते हुए जानकारी दी कि चाइल्डलाइन कानपुर द्वारा जारी रिर्पोट में बताया गया कि विगत 01 वर्ष में 35 बच्चों को चाइल्डलाइन कानपुर 1098 के माध्यम से श्रम विभाग, पुलिस एवं प्रशासन की मदद से उनके अधिकार दिलाते हुए सरंक्षण प्रदान करते हुए उनको बाल मजदूरी के चंगुल से निकालकर परिवार में पुर्नवासित किया जबकि 390 से अधिरक बच्चें को शोषण से बचाकर उन्हे न्याय और उनके अधिकार दिलाए। विश्व बाल श्रम विरोध दिवस की पूर्व संध्या पर जारी रिपोर्ट के अनुसार चाइल्डलाइन के निदेशक कमल कान्त तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि कानपुर नगर में बाल सेवी संस्था सुभाष चिल्ड्रेन सोसाइटी द्वारा विगत वर्ष 2007 से चाइल्डलाइन इण्डिया फाउन्डेशन के सहयोग से चलायी जा रही है जिस क्रम में अब तक 1148 बच्चों को बाल मजदूरी, बाल शोषण व प्रशासन की मदद से शोषण से सुरक्षा व न्याय दिलाया, 159 बच्चों को चिकित्सीय सहायता, 1080 अनाथ व जरूरतमंद बच्चों को आश्रय, 3551 परिजनों से बिछड़े व गुमशुदा बच्चों को अभिभावकांे से मिलाया व घर वापसी, 111 बच्चों को शिक्षा व कानूनी सहायता हेतु प्रायोजित किया गया, जबकि 230 बच्चों को अन्य शहरो ंकी संस्थाओं से पुर्नवासित कराया व घर वापसी की गयी, 1089 गुमशुदा बच्चों की खोज की व 3574 बच्चों को भावनात्मक सहयोंग एवं मार्गदर्शन कर उन्हें बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर किया गया। जिसके साथ ही विगत 13 वर्षाें में कुल 13000 से अधिक बच्चों को चाइल्डलाइन द्वारा मदद पहुचायी जा चुकी है। साथ ही कहा कि चाइल्डलाइन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलायी जाने वाली देश की सबसे बड़ी हेल्पलाइन है। उन्होनेे बताया कि यदि समाज में किसी भी व्यक्ति को कोई बच्चा भूला भटका, घायल अवस्था में या ऐसा बच्चा जो कि अपनी पारिवारिक स्थितियों के कारण शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं को नही प्राप्त कर पा रहा है। इन सभी दशाओं में उक्त बच्चांे की मदद करने हेतुु हमें चाहिए कि हम किसी भी फोन से 1098 डायल करके ऐसे बच्चों की सूचना नजदीकी चाइल्डलाइन में दे ताकि यह स्वंयसेवक इन बच्चों की उचित मदद कर सके। जिसके साथ ही चाइल्डलाइन कानपुर मे प्रतिदिन औसतन 04 से 05 बच्चे आते है जिनकी मदद की जाती है। चाइल्डलाइन कानपुर के समन्वयक प्रतीक धवन ने बताया कि मुक्त कराए गए बाल मजदूर बच्चों को बाल कल्याण न्यायपीठ के समक्ष प्रस्तुत कर आश्रय दिलाया जाता है जिसकेे साथ ही बाल मजदूर बच्चों का आयु का मेडिकल प्रशिक्षण कराकर उनको परिजनों से सम्पर्क कर उनसे शपथ पत्र लेकर कि वो बच्चों को पुनः बाल मजदूरी में लिप्त नही करेंगे उनके सुपुर्द किया जाता है।
साथ ही बताया कि आयु परीक्षण में 14 वर्ष से कम उम्र होने और बालक की परिस्थितियों के अनुरूप 18 वर्ष से कम उम्र होने पर श्रम विभाग कानपुर द्वारा बाल मजदूरी में लिप्त करने वालो नियोजकों के खिलाफ बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंर्तगत बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने पर वैद्यानिक कार्यवाही का प्रवधान है । साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों को शोषण के बचाने के साथ ही नगर में होने वाली बच्चों के प्रति शोषण व दुर्घटनाओ के जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ न्याय की गुहार लगाते हुए प्रशासन व मानवाधिकार आयोग सहित बाल अधिकार आयोग के माध्यम से बच्चों को न्याय व उनके अधिकारों का संरक्षण किया जा रहा है।
रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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