सरकारी कार्यालयों में शासन द्वारा लगाये गये समय-समय पर मैनपाॅवर (कम्प्यूटर आॅपरेटर) की व्यक्तिगत व्यथा
लेखक - अंकित
माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन है कि सभी संविदाकर्मी, आॅउटसोर्सिंग, दैनिक वेतनभोगी आदि का वेतन सीधे विभाग से मिले, जिससे कि सरकार द्वारा दिये जाने वाले कुशल, अकुशल व अर्द्धकुशल श्रमिकों को उसका फायदा मिल सके। ऐसा न होने की दशा में इस प्रकार के सभी कर्मियों को आर्थिक समस्यों को सामना करना पड़ता है और ससमय वेतन भी नहीं मिल पाता है और उनको वेतन पूरा नहीं दिया जाता जो कि शासन के आदेशानुसार उनके लिए अनुमन्य किया जाता है और न ही उनको उनके वेतन के बारे में कोई भी जानकारी दी जाती है कि उनको कितना वेतन शासन द्वारा अनुमन्य है। उनको मनमाना आधा-आधूरा वेतन (कैश-इन-हैण्ड) देकर टरका दिया जाता है जो कि माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा चलाई जा रही कैशलेस मुहिम के विरूद्ध है। अगर किसी भी कर्मी को सत्यता का पता चलता है कि उसका वेतन कितना उसको मिलना चाहिए जो कि उसको नहीं दिया जा रहा है तो उसको बिना पूर्व सूचना दिये (मौखिक रूप से सेवायें समाप्त करते हुए) निकाल दिया जाता है ऐसी दशा में श्रमिक अपने और अपने परिवार के खर्च का निर्वाहन कैसे करे यह सोचने पर मजबूर हो जाता है जो कि प्राकृतिक न्याय एवं समझौता के सिद्धान्त के विपरीत है। प्रायः उनके असली कार्याें से अगल रखते हुये (जिसके लिए उन्हें शासन द्वारा रखता जाता है) वह कार्य न लेकर उनसे अन्य कार्य (व्यक्तिगत एवं निजी) गुलामों की तरह कराते हुये अन्य प्रकार भी भरपूर शोषण किया जाता है। मैनवार (कम्प्यूटर आॅपरेटर) आपूर्तिकर्ता (सेवाप्रदाता) मनमानी कटौती करके पारिश्रमिक देता है तथा नियमानुसार पीएफ में भी जमा नहीं करता है। इसप्रकार सेवाप्रदाता एवं अधिकारियों आदि के द्वारा कार्मिकों का वेतन हड़प लिया जाता है जो कि न्यायसंगत नहीं है।
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