आगरा।। जनपद में सिविल एयरपोर्ट बनाये जाने की मांग वर्षो से की जाती रही है किन्तु एक न एक कारणों से अटकती रही है। सन 2016 से शुरू हुए नवीनतम प्रयासों के चलते एयरपोर्ट के नाम पर सिविल एन्कलेव बनाये जाने की स्थितियां लगभग पूर्णता की ओर से हैं किन्तु जनप्रतिनिधियों के सही दिशा में प्रयास न करने से एक बार पुन: असमंजस की स्थति बनने के आसार हैं। किसने कहां क्या कहा या क्या नहीं कहना चाहिये इस बहस में नहीं पडना चाहते किन्तु इतना जरूर आन रिकार्ड है कि संसद के दानों सदनों में जहां अपेक्षाकृत अधिक काम हुआ किन्तु आगरा के सिविल एन्कलेव के सम्बन्ध में संसदीय व्यवस्था का निचला सदन यानि लोकसभा गलत सूचना आम जनता तक पहुंचाने का माध्यम बना। लोकसभा में बजट सत्र के दौरान चर्चा में माननीय संसदों के विचारों दौर में बताया गया कि 'आगरा में सिविल एन्कलेव को नये स्थल पर शिफ्ट करने के प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है। इसलिये मामला अटका हुआ है।जबकि वस्तुस्थति यह है कि धनौली स्थित जमीन पर सिविल एन्कलेव बनाये जाने के लिये न केवल पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है अपितु जनसुनवायी संबधी औपचारिक्ता भी पूरी हो चुकी है। यही नहीं पर्यावरण संबधी रिपोर्ट तो मंत्रालय के द्वारा सुप्रीम कोर्ट तक में ताज ट्रिपेजियम जोन संबधित वाद में दाखिल हो चुकी है। किन्तु दुर्भाग्य है कि सकारात्मक इस रिपोर्ट को टी टी जैड के मामले की सुनवायी कर रही बैंच के समक्ष न तो उ प्र सरकार के अधिवक्ताओं ने ही और नहीं केन्द्रीय मंत्रालय के स्टैंडिंग काफंिलों ने ही सुनवायी कर रही पीठ के समक्ष उठाने का प्रयास नहीं किया। फलस्वरूप महीनों पूर्व पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति के बाबजूद रिपोर्ट पीठ के सामने संज्ञान में जरूर लायी जा चुकी होती। सिविल सोसायटी सभी तथ्यों और वस्तुस्थति से स्पीकर लोकसभा को जरूर अवगत करवाने जा रही है। सोसायटी के अध्यक्ष एवं पार्षद डा शिरोमणी सिह एवं सोसायटी के जर्नरल सैकेट्री अनिल शर्मा का मानना है कि लोकसभा जैसे शीर्ष सदन के माध्यम गलत सूचनाओं को आम जनता के बीच नहीं पहुंचना चाहिये। सिविल सोसायटी का अब तक रहे अनुभवों से मानना है कि सरकार में असर रखने वाले कुछ टूरिस्ट ट्रेड के लाबिस्ट सिविल एन्कलेव प्रोजेक्ट को यथा संभव लटकाये रखना चाहते हैं। इन तत्वो ध्यये लगता है कि सिविल एन्कलेव जब तक एयुफोर्स स्टेशन आगरा के परिसर में ही यथा स्थति में रहे। जिससे कि आगरा आने वाले और यहां से जाने वाले टूरिस्ट र्टैफिक पर इनकी पकड बनी रहे और मुनाफा कमाने की एकाधिकारी स्थति कारोबारी प्रतिस्पर्धा में तब्दील नहीं हो।इसी क्रम में यह भी स्पष्ट करना चाहते है कि फिलहाल बस साल तक आगरा मे इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने की कोयी संभावना नहीं बची है। उ प्र सरकार जैबर में इंटरनेशनल एयरोर्ट बनाये जाने को भरी वित्तीय निवेश कर चुकी है।आगरा की जैबर से एरियल दूरी महज 126कि मी से भी कम है।जबकि नेशनल एवियेशन पॉलिसी के तहत नये इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिये यह दूरी न्यूनतम 150 किमी होनी चाहिये।इस प्रकार आगरा में नये इंटरनेशनल एयरपोर्ट की मांग उठाये जाने से नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट तो नहीं बन सकेगा हां सिविल एन्कलेव का मौजूदा प्रोजेक्ट जरूर बीच में ही लटक जायेगा। एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी नागरिकों को होनी चाहिये कि आगरा में नया सिविल एन्कलेव नहीं बन रहा यह विशुद्ध शिफ्टिग प्रोजेक्ट है। जब कि मंत्रालय ने इस नये प्राजेकट के रूप में स्वीकृतियों की औपचारिक्ता के लिये प्रस्तुत किया था। दरअसल छुपे रुस्तमों का लक्ष्य था कि ताज ट्रिपेजियम जोन में नये किसी प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने से रही फलस्वरूप सिविल एन्कलेव मोजूदा स्थति बनी रहे। वह तो संयोग रहा कि उपरोक्त तथ्य समय से संज्ञान में आ सका और और कई जिम्मेदारों को इस वस्तुस्थति से अवगत करवाया गया। प्रेस कांफ्रेंस को संभोधन श्री शिरोमणि सिंह, श्री राजीव सक्सेना और अनिल शर्मा ने किया।
कश्मीर सिंह मण्डल संवाददाता आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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