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Sunday, August 4, 2019

भगवान शिव के भिक्षु अवतार का चित्रण प्रस्तुत किया गया श्री शिव महापुराण कथा एवं रूद्राभिषेक में


गौरव शुक्ला ब्यूरो चीफ शाहजहाँपुर
अक्राॅस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
शाहजहाॅपुर ।। श्रावण मास के पुनीत अवसर पर जनपद में पाॅचवी बार अखिल विश्व के कल्याण के उद्देश्य से आदर्श विकलांग कल्याण समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा एवं रूद्राभिषेक में शाहजहाॅपुर के फलोर मिल एसोसिएसेन के अध्यक्ष रामचन्द्र सिघल की पत्नी उमा सिंघल ने भोले नाथ की आरती की। श्रीमती उमा सिघल ने चलते समय काशी बनारस से पधारे परम पूज्य संत श्री प्रशान्त प्रभु जी महाराज से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर भव्य आयोजन को देखकर श्रीमती उमा सिघंल ने समिति का आभार व्यक्त किया। कथा प्रागण में व्यास पीठ पर उपस्थित परम पूज्य संत श्री प्रशान्त प्रभु जी महाराज के श्री मुख से भक्तों ने कथा का श्रवण किया। महाराज जी ने कथा में प्रसंग सुनाते हुए भगवान शिव के भिक्षु अवतार का चित्रण प्रस्तुत किया महाराज जी ने बताया कि राजा सत्य रथ के द्वारा किये गये धर्म और अधर्म का निरूपम महाराज जी ने करते हुए कहा कि सूत्रीय क्षत्रीय के द्वारा सत्य रथ का वध कर दिया गया जिससे उनकी पत्नी अपने पेट में पल रहे गर्व को जन्ने की इच्छा लेकर जंगल की ओर प्रस्थान कर गयी वही पर जंगल में उन्होने एक सुन्दर अलौकिक वालक को जन्म दिया। परन्तु पूर्व में ही अपने सौत को विश देने के कारण काल चक्र के प्रभाव से उन्हें उसी जंगल में वाद्य ने खा लिया। जिस कारण से भगवान शिव ने उनके पुत्र की रक्षा का वीणा उठाया। और सूती नाम की एक ब्राहम्णी को इस वालक को पालने की आज्ञा भगवान शिव ने प्रदान की। भगवान शिव ने उस वालक का विवाह गंधर्व राज की कन्या से कराकर उसे पुनः विधर्व देश का राजा वना दिया। क्योंकि सत्य रथ शिव प्रदोष वृत रखने में निपुण था इस कारण से भगवान शिव ने उसके संतान की रक्षा की। महाराज ने बताया कि जो भक्त शिव प्रदोष वृत रखते है। भगवान शिव उनकी ही नही उनकी संतान की भी रक्षा करते है। इसलिए विश्व में प्रत्येक पिता को चाहिए कि वह अपने संतान की रक्षार्थ शिव प्रदोष वृत अवश्य ही करना चाहिए। अन्त में महाराज जी ने शिव भक्तों से कहा कि यदि व्यक्ति भगवान शिव को अपना आदर्श ही मान लें और यह निश्चय कर लें कि मै शिव समान ही अपने जीवन को रस युक्त रखूंगा और जीवन यात्रा में चाहे कितने भी दुःख रूपी सर्प आये उन दुःखों को धारण करते हुए भी आनन्द के साथ जीवन यात्रा करूॅगा।, तो भी मनुष्य का जीवन शांत और सर्वसुखों से युक्त महान् बन जाता है। फिर उसे  छोटी-मोटी पीडा व्याधि नही सताती है। समस्त समस्याओं का एक ही समाधान है। वह है। शिव आराधना शिव आराधना करके व्यक्ति अपने जीवन को संवार सकता है। शिव आपकी रक्षा करें। कथा प्रागण में कथा के बीच-बीच में महाराज जी द्वारा शिव संकीर्तन हर, हर महादेव शिव शम्भू काशी विश्वनाथ गंगे। एवं जय शिव शंकर शशांक शेखर हर वम हर वम वम वम भोला भवा भयंकर गिरजा शंकर डिम, डिम नृत्यन तेरा। जैसे गाया जाता है। समस्त शिव भक्त शिव मय होकर झूमने लगते है। श्री शिव महापुराण कथा में मुख्य रूप से सहयोगी पं0 बालक राम बाजपेई मुख्य आयोजक हरीशरण बाजपेई कोषाध्यक्ष नन्द कुमार दीक्षित दीप श्रीवास्तव संयोजक नीरज बाजपेई विश्व मोहन बाजपेई सीमा बाजपेई पिंकी बाजपेई इन्दु दीक्षित सैफाली बाजपेई लाल बावा चाहत मिश्रा ओमबाबू सर्राफ विष्णु मिश्रा विद्या प्रकाश अवस्थी डाॅ रागनी सिंह कल्पना श्रीवास्तव आदि का सहयोग रहा।


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