कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
कानपुर। पोस्ट मार्टम याने मरने के घटना का कारण जानकारी मे आए के लिए डा0द्वारा प्रयास किया जाता है। पर सवाल यह है कि इसके रख रखाव को लेकर आए दिन लोगो की सवालिया नजरें ही नही उगली भी उठती है। यहाँ आने वाले वे चाहे शवो को लेने आए परिजन हो या फिर पुलिस या सरकारी कर्मचारी हो अव्यवस्था सिर पर भारी पडती है। अब मरने वाला इस पी एम हाउस पहुच गया है। तो सबसे पहले आवाज गूंजती है कौन है इस लाश को ले जाने वाला रूपए निकालो तो काम आगे बढे।यह वाक्य यहाँ शवों को ओटी मे ले जाने वाला कर्मचारी होता है । अब सौ दो सौ से तो काम चलना नही है। यहाँ ब्याप्त गंदगी अन्दर बाहर कम बैसी तो हो सकती है। उसे जहन्नुम का दर्जा दिया जा सकता है। अब इतना है तो इंसान को बैठने के लिए शीट तो मिलनी नही होगी।हाला यह है कि पुलिस कर्मियों को भी बैठने की कोई ब्यवस्था नही बाइक की सीट को लिखा पढी या फिर पंचनामा भरने के बस वैकल्पिक ब्यवस्था का सहारा लेना पडता है।ये तो कुछ भी नहीं अगर आपको गर्मी के नाते प्यास लगी तो हाउस के बाउण्डरी मे पीने के पानी की कोई ब्यवस्था न दीखेगी पीडितो ने बताया कि पहले मुख्य द्वार के बगल मे आने जाने का रास्ता था जिसे अनजाना कारण बता बन्द कर दिया गया।अब आधा किलोमीटर घूमकर बाड़ी के पास पहुचना होता है। चारो तरफ खून अलावा मेडिकलाइज कपडे आपको सोचने के लिए मजबूर कर देगी एन एच आर ए सी न्यू देहली उस्मान अली ने बताया कि वे यहाँ की अव्यवस्था के खिलाफ शासन को लिखूंगा उन्होने कहा कि देश के प्रधानमंत्री स्वच्छता मिशन को प्रमुखता देते है पर यहाँ की दुर्दशा देख कर उनके निर्देशो की धज्जियां खुल्लम खुल्ला उडाई जाती है। जिला प्रशासन अलावा हायलट हस्पताल न चेता तो मजबूरन आन्दोलन करेगे।
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Saturday, April 7, 2018
पोस्ट मार्टम मे शवों की दुर्गति जिम्मेदार कौन
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