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Thursday, November 2, 2017

आखिर कब सरकार सुरक्षा प्रधान करेगी पत्रकारों के लिए

अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर।। पल पल मर रही है पत्रकारिता आखिर कब सरकार की आंखे खुलेंगी ,गोरी लंकेश के बाद अब क्राइम 7 न्यूज़ के हेड कुनाल सिंह पर जान लेवा हमला किया गया पुलिस ने अपराधियों से सांठ गाँठ कर अपराधियों पर लगी संघिन धारा को हटाया आखिर कब सुधरेगी यू पी क्या यही है कानपुर थाना फजलगंज यू पी पुलिस का रवैया .जब पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार करती है ये पुलिस तो आम जनता के साथ क्या करती होगी योगी जी गो शाला और मन्दिर बनवा रहे है पहले जनता और पत्रकारों के लिए अच्छी कानून व्यवस्था तो कर दीजिये, रात्रि में हत्यारों से लेस बदमाश कार और बाइक से आये कार पर लिखा हुआ था पुलिस जो की रेड कलर की थी आते ही ऑफिस में तोड़ फोड़ की स्टाफ के ऊपर हमला चेंनल एंकर के साथ अश्लील हरकत करने की कोशिश की  कपड़े भी फाड़ दिए , क्राइम 7 न्यूज़ के हेड कुनाल सिंह को जान से मारने का प्रयास किया अगर मोके पर ऑफिस से कुछ कदम दूरी पर ही फजल गंज थाना है सबसे बड़ी बात तो यह है कि थानेदार साहिब अपराधियों को थाने में ही शरण दे रहे थे और क्राइम 7 न्यूज़ के हेड कुनाल सिंह को थाने में घायल अवस्था में बैठाल रखा था ,गम्भीर धाराओ में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी एक अपराधी को 24 घंटे थाने में रखने के बाद पुलिसे ने पैसा लेकर छोड़ा जी हां पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशाँ इसलिए उठने लगे है। क्योकि थाने से महज चन्द कदमों की दूरी पर स्थित क्राइम 7 न्यूज़ चैनल के हैड कार्यालय पर हमला होता है। और पुलिस को फोन भी दबंगो द्वारा किया जाता है। और एक सबसे सोचने वाली बात ये है। क्या ये वही फजलगंज थाने की पुलिस है। जो क्राइम होने के घण्टों बाद पहुचती है। लेकिन हमला देर रात होने के बाद भी पुलिस स्पॉट पर इतनी जल्दी कैसे पहुँच गई।पुलिस पर सवालिया प्रश्न खड़े होते है जी हां दूसरी हैरान करने वाली बात ये भी सामने आई है। जब पीड़ित सम्पादक को थाने लाया गया तो वह खून से लतपथ थे लेकिन आरोपी फ्रेश लेकिन फिर भी पीड़ित को ही   आरोपियों की तरह थाने में बिठाया गया और पीड़ित कि तरफ  से 100 डायल काल करने के बाद भी आरोपियों को मौके पर ही क्यों नही पकड़ा ।उसकी वजह हम आपको संक्षेप में बताते है। आरोपियों द्वारा पहले ही पुलिस से साथ गाठ करके घटना को अंजाम दिया था और आरोपियों द्वारा जो गाडी इस्तेमाल की गई तो उस गाड़ी के ऊपर भी पुलिस अंकित था लेकिन फजलगंज थाने की पुलिस को आरोपियों द्वारा पहले ही नीले नीले नोट देकर उनकी आखों पर नीले नोटों का चश्मा चड़ा दिया गया जिससे पुलिस पीड़ित को पहचानने में असमर्थ है।
आखिर क्यों ना उठे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
जी हां सोचने वाली बात ये है। आखिर पुलिस की कार्यशैली पर क्यों ना सवाल उठाये जाएँ क्योकि जब पुलिस द्वारा पीड़ित की तरफ से संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करलेती है । और फिर एक आरोपी को पकड़ भी लेती है। लेकिन फिर उस आरोपी को अपनी जमानत पर रिहा भी करदेती है। आखिर क्यों ,आपको बतादे ज्यादातर पुलिस द्वारा उन लोगों को अपनी जमानत पर छोड़ा जाता है। जो बिना किसी प्रीप्लान के तहत अनजाने में क़ानून को अपने हाथ में लेते है। लेकिन ये तो सारा मामला प्रीप्लान के तहत कियागया था लेकिन जब पुलिस को नीले नोटों का चश्मा पहनाया गया तो पुलिस को आरोपियों के कृत्य अनजाने में होने वाले कृत्य दिखाई दिए और पीड़ित पर ही आरोपियों के साथ मिलकर  झूठे मामलों में मुकदमा दर्ज करलिया गया। उसकी वजह सिर्फ था वो लाल नोटों वाला चश्मा क्या केंद्र में बैठे मोदी और यूपी में बैठे योगी इसी तरह भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे  । वही पूरे मामले पर सीओ ने बताया कि थाना फजलगंज  मामला प्रथम द्रष्टि  से पारिवारिक लगता है लेकिन देर रात किसी के साथ  जानसे मारने की नीयत से मारपीट करना निंदनीय है मामला पंजीकृत करलिया गया है जल्द ही  आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही होगी 

कानपुर से विवेक डोगरा की रिपोर्ट 

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