Translate

Thursday, November 23, 2017

जो इंसान अपनी पार्टी का न हुआ वह जनता का क्या होगा

जो इंसान अपनी पार्टी का न हुआ वह जनता  का क्या होगा

रायबरेली । रायबरेली में निकाय चुनाव में जहॉ सभी पार्टी के प्रत्याशी जी जान लगा के प्रचार प्रसार करने में जुटे हुए है वहीं सियासी पार्टी के नेताओं में एक दूसरे को मात देने की होड़ भी मची हुई है। जिसमें कॉग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा नगर पालिका चुनाव लड़ना प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। चाहे इसके लिए उन्हें पार्टी से बगावत करके ही चुनाव क्यों न लड़ना पड़े। वहीं पार्टी से जुड़े विश्वासनीय सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो आदमी अपनी पार्टी के प्रति वफादार नहीं हो सकता है वह जनता का क्या होगा। कॉग्रेस से नगर पालिका की प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह है। वहीं पार्टी में मचे घमासान से पार्टी के वरिष्ठ नेताआेंं ने अपने दो पदाधिकारियें को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। नगर पालिका चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रहे धर्मेन्द्र द्विवेदी है उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं धर्मेन्द्र द्विवेदी का कहना है कि हमे दिनेश सिंह चुनाव लड़ा रहे हम कॉग्रेस को नहीं जानते है हम सिर्फ दिनेश सिंह को जानते है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कॉग्रेस सिर्फ छोटे स्तर के नेताओं का निष्कासन ही क्यों किया। दिनेश सिंह के ऊॅपर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। धर्मेन्द्र द्विवेदी को चुनाव लड़ाने वाले तो दिनेश सिंह ही है तो फिर निष्काशन सिर्फ धर्मेन्द्र द्विवेदी का ही क्यों किया गया। वहीं जनता की राय जाने तो जनता का कहना है कि जो पार्टी में वफादारी से काम नहीं कर सका वह जीतने के बाद क्या ईमानदारी और वफादारी से काम करेगा। चुनाव लड़ने के चंद स्वार्थ के लिए जो इंसान पार्टी से नाता तोड़ सकता है वह जनता से भी नाता तोड़ सकता है। द्विवेदी के साथ चलने वाले लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके साथ जो भीड़ चल रही है वह किरायें की भीड़ है, ब्राहम्मण वोटर को लुभाने के लिए किरायें की जनता को साथ लेकर चलना धर्मेन्द्र द्विवेदी की मजबूरी है। वहीं धर्मेन्द्र द्विवेदी अब यह महसूस कर रहे है कि उन्हें पार्टी से गद्दारी नहीं करनी चाहिए थी। क्योकि अब उन्हें दिनेश सिंह का सर्पोट नहीं मिल रहा है। उन्होंने अपने हाथ खीच लिए है। कुछ मिला कर इस नगर पालिका चुनाव में धर्मेन्द्र द्विवेदी को दिनेश सिंह द्वारा बलि का बकरा बना दिया गया है। जो घर का हुआ न घाट का हुआ।

जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

No comments: