Translate

Thursday, June 10, 2021

लऊसर पैच बनने के कारण एवं सुधार

कानपुर। किसान भाइयों जैसा कि आप जानते हैं कि ऊसर एक समस्या ग्रस्त भूमि है  जिसमें उत्पादन के सभी घटकों का सही प्रबंधन करके अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। *पैच बनने के कारण* :- १. जलभराव एवं जल निकास की समुचित व्यवस्था ना होना। २. वर्षा कम तापमान अधिक होना। ३.ऊसर खेत की मेड़बंदी एवं समतलीकरण ठीक ढंग से ना होना। ४. समतल करते समय बड़े-बड़े पैचो को छोटे-छोटे टुकड़ों में  विभक्त करना।५. दो टुकड़ों के बीच में मेड़बंदी करते समय नमक की बहने के लिए खेत नाली का निर्माण ना करना। ६. लवण युक्त जल से सिंचाई करना तथा नहरी क्षेत्रों जल रिसाव होना। ७. भूमि को पर्ती छोड़े रहना।८. भूमि में आवश्यकता से अधिक रसायनों का प्रयोग करना। ९. जिप्सम एवं लीचिंग प्रक्रिया ठीक ढंग से ना करना। १०. उसर भूमि में जैविक खाद कंपोस्ट खाद तथा साड़ी गोबर की खाद ,ढैचा की हरी खाद का प्रयोग ना करना। *पैच ट्रीटमेंट कैसे करें?*:- १. यदि खेत में उसरीले पैच को धान की खड़ी फसल में जिप्सम से उपचारित नहीं किया गया है तो धान की कटाई के बाद ऐसे  ऊसरिले पैच को चिन्हित कर खेत की जुताई के पूर्व 4 किलोग्राम जिप्सम प्रति वर्ग मीटर की दर से उपचारित कर लें। २. पैच को जिप्सम से उपचारित करने के बाद बिना जोते खेत में हल्का पलेवा कर दें। ३. पलेवा करने के दूसरे या तीसरे दिन खेत से फालतू पानी निकाल दें। पलेवा करते समय खेत के समतलीकरण का भी पता लग जाएगा। ऊंचे स्थान से मिट्टी काटकर निचले स्थान पर डाल दें।४. पानी निकालने के बाद धान के  ठूठे को गलने और सड़ने के लिए ठूठो के ऊपर 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया बिखेर दें। ५.ओट आने पर तवेदार हल या डिस्क हैरो से खेत की जुताई कर दें ताकि ठूठ कट पिट कर मिट्टी में मिल जाए।६. पैच के नमक को खुरच कर फेंक दें तथा मेड़बंदी करके धान का पुआल, जलकुंभी, ढैचा की हरी खाद ,धान की भूसी को डालकर पानी भर दे। *डॉ अरविंद कुमार, वैज्ञानिक एवं डॉ अशोक कुमार ,अध्यक्ष केवीके दिलीप नगर कानपुर देहात।मौके पर मंजूर रहे।

रिपोर्ट : मधुकर राव मोघे
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

No comments: