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Friday, May 31, 2019

जिन अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं दी, मजिस्ट्रेट टीम ऐसे अस्पतालों को बंद कराएगी, सीएमओ- डॉ. मुकेश कुमार वत्स


आगरा। कॉर्मशियल बिल्डिंग ही नहीं, अस्पतालों में भी आग का ‘खेल' हो रहा है। न फायर सेफ्टी एनओसी है और न बचाव के कोई इंतजाम। फिर भी ऐसे अस्पताल, नर्सिंग होम, डे-केयर क्लीनिक्स पर अफसर मेहरबान हैं। भर्ती मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग, अग्निशमन और जिला प्रशासन को जांच की फुर्सत नहीं। किसी भी अस्पताल के पंजीकरण के लिए फायर सेफ्टी एनओसी अग्निशमन विभाग से लेना अनिवार्य है। परंतु शहर में खुलेआम 500 से अधिक अस्पताल बिना फायर सेफ्टी मरीजों को भर्ती कर इलाज के नाम पर कमाई में जुटे हैं। यहीं हाल, जल एवं वायु प्रदूषण व अन्य एनओसी का है। बिना एनओसी पिछले कई वर्षों से अवैध रूप से चल रहे इन अस्पतालों की लापारवाहियों पर स्वास्थ्य विभाग मेहरबान है। न किसी अस्पताल पर कार्रवाई की गई और न ही ऐसे अवैध अस्पताल बंद कराए, जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि बिना फायर व प्रदूषण के एनओसी कोई नवीनीकरण नहीं किया जाए। इसके बाद 2019-20 के लिए न अस्पतालों के नवीनीकरण हुए। न उनकी जांच की गई। अफसरों की मेहरबानी के कारण इन अस्पतालों में खुलेआम मरीज भर्ती हो रहे हैं। कई अस्पताल बेसमेंट में चल रहे हैं। नियम विरुद्ध बेसमेंट में आईसीयू, इमरजेंसी सेंटर, ट्रोमा सेंटर व वार्ड बनाए हुए हैं। इन वार्डों में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। अगर यहां आग लग जाए, तो मरीजों को बचना छोड़िए, निकलना भी मुश्किल होगा। 

शायद बड़े हादसे का इंतजार

डीएम एनजी रवि कुमार ने अस्पतालों में चिकित्सा मानकों की जांच के लिए दो मजिस्ट्रेट टीम गठित कीं, परंतु कोई टीम कार्रवाई नहीं कर रही। अस्पतालों की जांच भी शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग, अग्निश्मन और प्रशासन को अस्पतालों में शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है। जिन अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं दी, उनकी सूची अग्निश्मन विभाग को भेजी है। अग्निशमन विभाग उन्हें नोटिस जारी करेगा। मजिस्ट्रेट टीम ऐसे अस्पतालों को बंद कराएगी।

सोनू सिंह ब्यूरो चीफ आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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