Translate

Sunday, August 5, 2018

अधर्म पर धर्म की विजय यही है महाभारत की कथा

कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर। सदा ध्यान रहे मानव मात्र के तराने के लिए साधू सन्तो धर्माचरण ग्रन्थों पुराणों उल्लिखित किया है। यह अम्रित वचन आचार्य  कमल त्रिपाठी ने बिठूर के लव कुश नगर स्थित अखण्ड शिवधाम मे आयोजीत संगीत मय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे सोपान मे कहे उन्होने कहा कि वास्तव मे ब्यक्ति को अपने आचरण मे धर्म को अपने क्रीत कार्यो मे ढाल लेना चाहिये । महाभारत के युद्ध मे ऐसे अनगिनत मौके आए जब पाण्डु पुत्र द्रुत क्रीड़ा जैसे अपराध कर बैठते पर वो तो माधव की क्रिपा रही कि पाण्डव उनके दिशा निर्देर्शन मे कोई अपराध न कर सके। भागवत सदा धर्म के मर्म से ब्यक्ति को विग्य कराती है महरिष वेद्ब्यास ने देवता को पाने का भागवत रूपी सोपान दिया है।जिसको धारण करने वाला ब्यक्ति संसार के आवागमन से मुक्त हो जाता है पर तब जब आप इसे अपने आचरण मे ढाल लोगे पूर्वाह्न रुद्राभिषेक भी किया गया।

No comments: