आगरा।। खंदौली ब्लॉक ग्राम पंचायत खेड़ा हाजीपुर के आधा दर्जन गांव डेरा सपेरा के आसपास स्थित खेड़ा हाजीपुर के इन गांवो को 70 सालों से आज तक करना पड़ रहा है पानी की समस्या से भारी सामना इधर ही जहां एक और उत्तर प्रदेश सरकार यह केंद्र सरकार पेयजल व्यवस्था को लेकर एक एक गांव को नदियों एवं तालाबों से जुड़ने की कवायद कर रही है वही दूसरी और अभी भी ऐसे गांव वाकी हैं जहां विगत 70 वर्ष से पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची है जिससे गांव में लोगों को बाहरी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हर गांव को सुविधा मिले इसको लेकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है लेकिन सच बात तो यह है की दूसरी सुविधाएं की तो दूर की बात है कुछ गांव में तो 70 वर्ष बाद भी पेयजेल की उचित व्यवस्था नहीं है जिससे क्षेत्र के वाशिंन्दे एक एक बूंद पानी के लिए तरस व परेशान हैं ग्रामीणों की इस परेशानी को देखते हुए कई बार प्रशासन को अगवत कराया जा चुका है लेकिन 21वी सदी में भी प्रशासन ग्रामीणों को पानी की उचित व्यवस्था कराने में नाकाम नजर आ रहे हैं जिससे ग्रामीणों में वारी रोष व्याप्त है ग्रामीणों का कहना है की आजादी के 70 साल गुजरने के बाद भी गांवो में पेयजल के लिए इधर उधर भटकना बहुत बड़ी परेशानी वन गई है जिस कारण गांव में कोई आना भी पसंद नहीं करता है गांव में पानी की व्यवस्था नहीं होने से ना तो कोई रोजगार है और ना ही सरकार द्वारा कोई योजनाएं दी जा रही हैं आए दिन पानी के लिए ग्रामीणों को किलोमीटरो दूर से पानी की व्यवस्था के लिए भटकना पड़ता है अन्य लोगों की दिनचार्य अपने रोजगार एव परिवार के सदस्यों के साथ शुरू होती है लेकिन इन गांव के वशिन्द्रो की दिनचार्य पानी की व्यवस्था करने से शुरू हो कर पानी में ही समाप्त हो जाती है।चुनावों के समय नेताओं द्वारा बड़े-बड़े वादे करके गांव वालों को बेवकूफ बनाया जाता है और फिर वही ढाक के तीन पाठ वाली कहावत सिद्ध हो जाती है चुनाव जितने के बाद ना तो ये नेता और ना ही उनकी सरकार इन गांवो वालों के फटेहाल पर ध्यान नहीं देते हैं जिससे ग्रामीणों का कहना है की चुनाव आते ही सांसद एवं विधायकों को हमारे गांव के रास्ते नजर तो आते ही है वही गांवो मैं आते ही ये सांसद एवं विधायक झूठी हमदर्दी के सहारे ग्रामीणों का दिल जीत लेते हैं और पानी दिलाने का झूठा वादा करते हुए कुर्सी पा लेते हैं लेकिन कुर्सी मिलते ही वो ही विधायक एव सांसद अपनी वायदो को भूल जाते हैं।ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि जब की कोई अपनी लड़की के लिए यहां लड़का देखने आता है तो सिर्फ इसी कारण से शादी का प्रस्ताव ठुकरा देते हैं की जिस गांव में वह अपनी लड़की की शादी कर रहा है वह की सुबह पानी के लिए भटकने से शुरू होती है और पानी का इंन्तजाम करती रहती कब रात्रि हो जाती है पता नहीं चलता वही जब गांव की बुजुर्ग महिलाओं से जाना तो उन्होंने बताया की गांव में जब से हम देख रहे हैं तब से ही पानी के लिए इधर उधर भटकते नजर आ रहे हैं किलोमीटरो दूर दूसरे गांव से पानी की व्यवस्था की जाती है तो कभी दुगने एव तीन गुने पैसे देकर ट्रैक्टरों से पानी लाकर गांव में पानी का इंतजाम करना पड़ता है।ग्रामीण रोते हुए बोले की प्रशासन की इस उदासीनता और पेयजल समस्या को देखते हुए हम पलायन करने को मजबूर हो गये हैं वरना हम अपनी जन्म भूमि को कभी छोड़ना नहीं चाहते हैं अगर प्रशासन की नींद अभी भी नहीं टूटी तो वह दिन दूर नहीं जब यह गांव बिल्कुल खाली हो जाएंगे और भारत के नक्शे से भी इनका नाम मिट जाएगा
पशु पक्षियों को मजबूरी में करना पड़ रहा पलायन
21वी सदी में पानी के कारण पशु एवं पक्षी भी पानी की समस्या के कारण प्लान कर रहे हैं इससे बड़ी चुनौती भारत BJP सरकार को और क्या होगी वैसे तो सरकार द्वारा मुहिम चलाकर पानी पशु एवं पक्षियों को बार बार बचाने हेतु नारे दिए जा रहे हैं लेकिन इन नारों पर अमल करने के लिए इन गांव वालों के पास पानी ही नहीं है पानी की लगातार मांग को देखते हुए भी सरकार द्वारा आज तक कोई योजना गांव में नहीं दी गई है जिससे पक्षी भी पलायन कर गए हैं।ग्रामीणों पर पैसे ना होने से मजबूरन हो कर बरसात का पानी भरा हुआ गड्ढों से पानी पीने नहाने धोने के लिए भी लाते हैं जब ग्रामीणों से बात की तो रो-रो कर अपनी दुख भरी कहानी सुनाने लगे जब मदनपुर गांव से पानी लाते हैं तो वहां के कुछ लोग पैसों से पानी हमें भरने देते हैं।
सोनू सिंह ब्यूरो चीफ आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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