ब्यूरो समाचार
अक्राॅस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
शाहजहाँपुर।। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवं चीनी/निबन्धक, सहकारी गन्ना/चीनी मिल समितियाँ, श्री संजय भूसरेड्डी ने प्रदेश की सहकारी गन्ना विकास समितियों की सभी सम्पत्तियों की सुरक्षा एवं सदुपयोग किये जाने हेतु निर्देश दिये हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 169 सहकारी गन्ना विकास समितियाँ गन्ना किसानों से सीधे जुड़ी हुई संस्थायें हैं तथा इन संस्थाओं के पास 965 अचल सम्पत्तियाँ हैं। किन्तु सभी संस्थाओं की आर्थिक स्थिति एक समान न होने एवं अवस्थित सम्पत्तियों के सदुपयोग के सम्बन्ध में कोई सम्यक दिशा-निर्देश/नीति न होने के कारण इनका सदुपयोग नहीं हो पा रहा था, जिससे समितियों को कोई प्रतिफल नहीं मिल पा रहा था। चूँकि गन्ना समितियाँ गन्ना किसानों की ही हैं। इन सम्पत्तियों के सुरक्षित एवं सदुपयोगिता होने से आखिरकार गन्ना समितियाँ अतिरिक्त आय अर्जित कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ होगीं तथा क्षेत्रीय गन्ना किसानों को भी इसका भरपूर लाभ मिलेगा। इसलिए हानि में चल रही गन्ना समितियों को उबारने एवं लाभ में चल रही गन्ना समितियों के बेहतर प्रदर्शन और प्रबन्धन के उद्देश्य से सम्पत्ति सुरक्षा एवं सदुपयोग नीति की आवश्यकता महसूस की गई। आयुक्त/निबन्धक द्वारा गन्ना विकास विभाग के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि समितियों की भी सम्पत्तियों का नये सिरे से परीक्षण करते हुए उन्हें एक माह में राजस्व अभिलेखों में दर्ज करायें तथा ऐसी सम्पत्तियाँ, जो अतिक्रमणकर्ताओं के अवैध कब्जे में है, को भी राज्य सरकार के एंटी भू-माफिया पोर्टल पर एक माह में पंजीकृत करायें। यह चिन्हांकन भी कराया जाय कि इनमें से कितनी अचल सम्पत्तियाँ व्यवसायिक प्रकृति की है तथा कितनी कृषि योग्य/वन योग्य हैं। व्यवसायिक या कृषि योग्य प्रकृति के चिन्हांकन उपरान्त समिति की आर्थिक स्थिति के दृष्टिगत इन अचल सम्पत्तियों के सदुपयोग हेतु अलग-अलग योजना बनाई जाए। कृषि योग्य भूमि पर सदस्य गन्ना किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज गन्ने की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से गन्ना समितियों के कृषि फार्मों को गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों की देख-रेख में ब्रीडर गन्ना बीज उत्पादित करने हेतु विकसित किये जाने के कार्यक्रम को भी इस नीति का हिस्सा बनाया गया है साथ ही गन्ना समिति की सभी व्यावासायिक सम्पत्तियों को समिति में उपलब्ध धनराशि से यथावश्यकता एवं लाभप्रदता के अनुसार दुकान/बैंक अथवा क्षेत्रीय उपयुक्तता के अनुसार भवन/गोदाम आदि का निर्माण कर अतिरिक्त आय के साधन के रूप में सृजित कराकर सुरक्षित किया जाये। जिन गन्ना समितियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है, उनकी व्यवसायिक अचल सम्पत्तियों पर धनाभाव के कारण व्यवसायिक निर्माण न हो पाने से वे सदुपयोगिता नहीं हो पाती है, फलतः ऐसी अचल सम्पत्ति के खाली रहने के कारण उस पर अवांछित तत्वों द्वारा अतिक्रमण किये जाने की सम्भावना बनी रहती है। आर्थिक रूप से कमजोर गन्ना समितियों की व्यवसायिक सम्पत्तियों का सदुपयोग करने एवं इन सम्पत्तियों से गन्ना समितियों को अतिरिक्त आय जुटाने हेतु एकमुष्त अग्रिम किराया प्राप्त कर इन व्यवसायिक सम्पत्तियों पर दुकान/भवन निर्माण कराकर उसे किराये पर देने का अनूठा विकल्प भी इस नीति में प्रस्तावित किया गया है, जो कमजोर गन्ना समितियों की घाटे से उबारने के लिए संजीवनी साबित होगा। सम्पत्ति सुरक्षा एवं सदुपयोग नीति के पूर्णतः अनुपालन होने से विशेषतः पूर्वी उत्तर प्रदेश की घाटे में चल रही सभी कमजोर गन्ना समितियाँ पुनः अपने स्वर्णिम अतीत की ओर लौटेंगी तथा गन्ना किसानों को पुनः विभिन्न सुविधायें उपलब्ध कराने में सक्षम होंगी, जिससे कृषि निवेश हेतु धन की उपलब्धता सुगम होंगी और उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल गन्ना किसानों के विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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