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Tuesday, May 15, 2018

बेटी ने अंतिम समय में बेटे का फर्ज निभा कर मिसाल कायम की

आगरा। कहते हैं बेटा बुढ़ापे की लकड़ी होता है । बेटा ही बुढ़ापे का सहारा बनता है। पर अंतिम समय में बेटा ही मुखाग्नि देकर फर्ज पूरा करता है । मगर यहां ऐसा नहीं है । जब किसी के बेटा ना हो तो फिर क्या किया जाए । आगरा की एक बेटी ने अंतिम समय में बेटे का फर्ज निभा कर मिसाल कायम की है मामला बाह क्षेत्र का है । बेटी किसी मायने में बेटों से कम नहीं है । बाह की रूपम तिवारी ने इसे फिर से साबित कर दिया है। पूरे जीवन में संघर्ष करती रही बाह की रूपम तिवारी के हौसले नहीं टूटे। अंतिम संस्कार के लिए रूपम तिवारी ने किसी का सहारा नहीं लिया। सोमवार को बटेश्वर घाट पर रूपम तिवारी ने अपने पिता रामअवतार मिश्रा को मुखाग्नि दी । रूपम तिवारी रामअवतार मिश्रा की इकलौती बेटी थी । 13 साल पहले रूपम की शादी एक शिक्षक अमित तिवारी से हुई । पति उस समय छोड़ कर चले गए। रूपम टूट गई। मगर हिम्मत नहीं हारी। पति की जगह शिक्षिका की नौकरी के सहारे रूपम ने पूरे परिवार को संभाला । आगरा के तहसील रोड स्थित चित्रगुप्त हायर सेकेंडरी में पढ़ाने वाली रूपम तिवारी ने 12 साल के बेटे आदर्शों 10 साल के पुत्र आदित्य की जिम्मेदारी संभाली। पूरा जीवन रूपम तिवारी का संघर्ष करते हुए बीता। साथ में बूढ़े माता-पिता की सेवा में खुद को भी झोंक दिया। 6 महीने से बीमार चल रहे पिता ने सोमवार को अंतिम सांस ली । मां बाप की सेवा में लगी थी और सोमवार को बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी और पूरे आगरा में एक अलग मिसाल कायम कर दी।

सोनू सिंह ब्यूरो चीफ आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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