प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में दो दिन पहले हुये हादसे से यह जगजाहिर हो गया है कि वहाँ भी नौकरशाही और भ्रष्टाचार दोनों मदमस्त हाथी की तरह फलफूल रहें हैं।यह सत्य है कि वहाँ के जिलाधिकारी एक कर्तव्यनिष्ठ कर्मठ ईमानदार परिश्रमी तेजतर्रार हैं लेकिन उनके नियन्त्रण में रहने वाले अन्य विभाग उन्हें कंलकित करने में इस भयावह घटना के बाद भी जुटे हैं। बहुत ही शर्म की बात है कि इस हादसे में जिन लोग बेमौत मरे हैं उनके शवों को पोस्टमार्टम के बाद वापस देने के लिए रिश्वत की मांग करके मानवता को कलंकित किया जा रहा है।सभी जानते हैं कि जिसके घर का जब कोई मर जाता है तो उस परिवार की क्या दशा होती है और उसमें भी जब किसी की अचानक हादसे में मौत हो जाती है तो उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। वह असहनीय दुख से पागल होकर जान देने पर आमादा हो जाता है। पो़स्टमार्टम के बाद लाश के बदले पैसा मांगने की शिकायत ने सरकार को शर्मसार कर दिया है हालांकि इसकी सूचना मिलते ही जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल पैसा मांगने वाले को गिरफ्तार करवाके मुकदमा दर्ज करा दिया है। इस घटना से साबित होता है कि पोस्टमार्टम के बाद लाश वापस देने के लिए पहले से यहाँ पर पैसा लेकर इंसानियत को बेचा जा रहा है। वाराणसी फ्लाईओवर हादसे के बारे में हमने कल अपनी सम्पादकीय में सेतु निगम के साथ जिला प्रशासन की मनमानी का भी जिक्र किया था। सेतु निगम ने एमडी ने भी माना की इसमें उनके अधिकारियों की गलती है लेकिन उन्होंने वह चिठ्ठी भी मीडिया के सामने सार्वजनिक कर दी है जिसमें यातायात डायवर्जन करने के लिये पुलिस को पत्र लिखा था। यह सही है कि अगर यातायात डायवर्जन हो गया होता तो फ्लाईओवर के दो बीम टूटने के बावजूद इतना बड़ा हादसा नहीं होता। इह घटना के लिए अकेले सेतु निगम ही नही बल्कि पुलिस प्रशासन भी इसके लिए कम दोषी नहीं है जिसने एमडी के पत्र पर गौर नही किया।वैसे सेतु निगम के खिलाफ तो गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया गया है लेकिन जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ लापरवाही का मामला अबतक पंजीकृत नहीं हो सका है। फिलहाल हादसे की जांच करने मौके पर पहुंची उच्चस्तरीय जांच कमेटी स्थलीय निरीक्षण एवं निर्माण सामग्री के नमूने लिये हैं। यह बात सभी जानते हैं कि अधिकांश ऐसी जांचों और दर्ज मुकदमों के परिणाम क्या होते हैं? जिसके घर का सदस्य चला गया है अब वह लौटकर वापस उसे वापस नहीं मिल सकता है।
लेखक : आनंद कुमार त्रिपाठी
प्रधानकार्यालय
क्राइम इंटेलिजेंस फ़ोर्स ट्रस्ट
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