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Sunday, May 20, 2018

गंदगी से ताजनगरी बेहाल, पर्यटक कैसे कहें वाह ताज

ताज महल की सुंदरता के सभी दिवाने हैं। लेकिन आगरा की गंदगी ताज महल की खूबसूरती पर दाग लगा रही है।  

आगरा। विश्व विख्यात ताजमहल की सुन्दरता को निहारने लाखों पर्यटक हर साल ताजनगरी आते हैं। अपने दिल में ताजमहल के शहर आगरा को साफ़ सुथरा और व्यवस्थित शहर मानकर आने वालों का सपना आगरा प्रवेश के साथ ही टूट जाता है। जगह-जगह लगे गन्दगी के ढ़ेर पूर्णमासी के चांद की तरह अप्रितम सौन्दर्य के प्रतीक  ताजमहल पर ग्रहण की तरह नजर आते हैं।

पर्यटक कैसे कहें वाह ताज 

अगर आप बेमिसाल ताज महल के संगमरमरी हुस्न के दीदार की हसरत लिए आगरा पधारे हैं तो जरा रूमाल निकाल लीजिए। सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले ताजमहल के पश्चिमी गेट के सामने मौजूद वीरांगना झलकारीबाई चौराहा पहुंचते ही यहां फैली दुर्गंध आपको नाक बंद करने को मजबूर कर देगी। इस चौराहे के बगल से ही शहर भर की गंदगी बटोरे 'नाला मंटोला' अचानक यमुना नदी में समाने के लिए प्रकट होता है। यहां आपकी पहली कोशिश यही होगी कि जितनी जल्दी हो सके, इस जगह से चले जाएं।
 
सनसेट पॉइंट भी बदहाल 

इसी चौराहे के सामने डूबते सूरज की रोशनी में ताज को निहारने के लिए बना और बदहाल पड़ा 'सनसेट प्वाइंट' भी है। आलम ये है कि भीषण बदबूदार माहौल में पर्यटक चंद मिनट भी यहां खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। विश्व की धरोहर ताज महल जहां अपने सौंदर्य से पूरे विश्व में ख्यात है, वहीं इसके अगल-बगल बह रहे गंदे नाले माहौल में दुर्गंध भर रहे हैं। 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां को अपनी बेगम मुमताज महल की याद में मुगल वास्तुकला के इस अनोखे स्मारक को बनवाने में 22 साल लगे थे, लेकिन विश्व धरोहर का दर्जा पाने के 32 साल बाद भी ताज महल अपनी दुर्दशा के दूर होने का सिर्फ इंतजार ही कर रहा है। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक आखिर कैसे ताजमहल की तारीफ़ कर पायेंगे कैसे कहेंगे वाह ताज, ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है।  

जस्टिस कुरियन ने लिखा था सुप्रीम कोर्ट को पत्र 

ताज महल की इसी दुर्दशा से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ भी रू-ब-रू हुए, जब सितंबर 2015 में वे अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे थे। जस्टिस जोसेफ ने यमुना किनारे ताज महल के बगल में स्थित शमशान घाट से उठने वाले धुंए से नुकसान की आशंका जताते हुए एक अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र भी लिखा।
 
संसद की समिति ने उठाई थी आपत्ति 

इससे पहले 11 अप्रैल ताज महल पहुंची संसद की पर्यावरण संबंधी स्थाई समिति भी ताजमहल की बदहाली देखकर चौंक गई थी। समिति के अध्यक्ष अश्वनी कुमार प्रदूषण की वजह से ताजमहल की मीनारों के काले पड़े छज्जों, धुंधली होती गलियारे की दीवारों, उन पर जमी धूल और जालों को देखकर दंग रह गए थे। कुमार ने बताया था की ताज का रख-रखाव और संरक्षण जिस तरह का होना चाहिए, वैसा नहीं है। इसमें सुधार की जरूरत है। ताज को प्रदूषण से बचाने के लिए सतत कदम उठाने होंगे।

कई प्रोजेक्ट लेकिन नतीजा शून्य 

1983 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल होने के अगले ही साल ताजमहल की दुर्दशा का मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया था। इसके बाद सरकारें कुछ चेतीं। इन 30 वर्षों से ज्यादा के समय के दौरान ताज महल के संरक्षण की कई योजनाएं बनीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण, यमुना एक्शन प्लान, जवाहर लाल नेहरू अरबन रीन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) जैसी संस्थाएं ताज महल को संवारने की मशक्कत करती रहीं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा।

सोनू सिंह ब्यूरो चीफ आगरा
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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