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Sunday, June 10, 2018

दिशा प्रदर्शक के अभाव मे भटकते मुसाफिर कभी भी हो सकता है भीषण हादसा

विभागीय अधिकारियो की लापरवाही

कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर। बिठूर के लक्षमण घाट निकट बनाया गया पक्का पुल कहने के लिए वाहनों के लिए 24जून 1916 को खोल तो दिया गया था।और लोकार्पण भी तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण मंत्री शिशुपाल सिंह यादव ने किया था। समझने वाली बात यह है कि सेतुनिगम द्वारा पुल का निर्माण किया गया था विभागीय सूत्र की माने तो दिशा प्रदर्शक का धन विभाग द्वारा हजम कर लिया गया है। अब जब लोक निर्माण विभाग से इस संवाददाता ने जानकारी चाही तो बताया गया अभी तक कार्य योजना सेतुनिगम द्वारा संविधि को हस्तांतरित नही किया गया है। इसे लापरवाही की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा कि मार्ग प्रदर्शक सबसे पहले लगना चाहिये था। उसे दो वर्ष गुजर चुके है समझने वाली बात यह है कि निकट ही लगभग 120फुट उंचा टीला है जिसके ठीक नीचे गंगा प्रवाहित हो रही है । मुसाफिरों से भरे वाहन कभी भी हादसे का शिकार हो सकते ।

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