Translate

Tuesday, June 19, 2018

किसान अमृतलाल सविता की मौत के बाद भी उच्च अधिकारियों ने नहीं ली किसानों की समस्या की सुध

रायबरेली। पिछले पंद्रह दिनों से  जिला मुख्यालय रायबरेली पर चल रहे धरने में कल रात किसान कल्याण एसोशिएशन के अध्यक्ष अमृत लाल सविता ने अपना दम तोड़ दिया। जिला अधिकारी रायबरेली के द्वारा किसानों की समस्या को आज तक संज्ञान में नही लिया गया। हमारे सम्पूर्ण समाज मे जहां किसानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है,जो सभी मानव जाति व अन्य प्राणियों को भोजन उपलब्ध कराता है। किसान चाहे धूप हो या छांव अपनी मेहनत से अपने खेतों की देखभाल कर उसमें फसल तैयार करता है। लेकिन आज के समय मे किसानों की कोई भी समस्या नही सुनी जा रही है। जो अन्नदाता है उसे ही अपने हक को पाने के लिए दर- दर भटकना पड़ रहा है। सरकार द्वारा जो आलाधिकारी नियुक्त किये गए है उन्हें तो बिल्कुल भी परवाह नही है किसानों की , किसान चाहे  जिये या मरे उनको क्या? आज किसानों के दर्द की आवाज़ से आलाधिकारियों के कान पर जूं तक नही रेंग रही, जहां भारत एक  कृषि प्रधान देश होने के बावजूद किसानों को या तो आत्म हत्या करनी पड़ रही है या उन्हें किसी दूसरे शहर में कमाने खाने को जाना पड़ रहा है। अपने हक़ को तो किसान पा ही नही पा रहे है। वजह सिर्फ और सिर्फ सरकारी आलाधिकारी है। सरकार के निर्देशों के बावजूद अधिकारी किसी भी समस्या की सुनवाई नही कर रहे है जब तक कोई अप्रिय घटना नही घट जाती,तब तक आलाधिकारियों की नींद ही नही टूटती है। जब नींद टूटती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। कोई न कोई औरत विधवा या एक न एक परिवार बेसहारा हो जाता है। क्या यहीं इंसानियत है ?   सही मायने में तो पीड़ितों की सुनी जाए और उनको उचित कार्यवाही किये जाने का आश्वाशन दिया जाए। जिससे कि कोई भी पीड़ित या उसका परिवार किसी भी अप्रिय घटना का शिकार न हो सके। किसान कल्याण एसोशिएशन के अमृत लाल सविता की मौत ने सभी आलाधिकारियों के कार्यो पर एक सवाल उठा दिया है।

जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

No comments: