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Thursday, December 28, 2017

राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत गन्ना विकास कार्यशाला का आयोजन



ब्यूरो समाचार
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

शाहजहाँपुर।। उ0 प्र0 गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केन्द्र एवं गन्ना विकास परिषद के तत्वाधान में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत चीनी मिल परिक्षेत्र के ग्राम-अकर्रा रसूलपुर में कम लागत में गन्ना कृषकों का प्रति ईकाई उत्पादन बढ़ाकर उनकी आय दोगुनी करने के उद्देश्य से 28 दिसम्बर में ‘‘गन्ना कृषि की आधुनिक तकनीकी’’ पर एक दिवसीय गन्ना विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता श्री रतिराम वर्मा, ग्राम प्रधान ने की। कार्यशाला का शुभारम्भ संस्थान के सहायक निदेशक श्री पी0के0कपिल ने दीप प्रज्वलित कर किया। श्री कपिल ने गन्ना फसल में मृदा परीक्षण के अधाार पर खाद एवं उर्वरकों के संतुलित प्रयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि खेत की तैयारी करते समय एक गहरी जुताई करनी चाहिए। मृदा परीक्षण न होने की दशा में 180 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर डालने की आवश्यकता हैं। नत्रजन की 1/3 मात्रा, 60-80 किलोग्राम फासफोरस तथा 40-50 किलो ग्राम पोटाश, 30 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय कूड़ों में देना चाहिए। श्री कपिल ने सुझाव दिया कि गन्ने की दो नाली के बीच खाली जगह में कम समय में तैयार होने वाली अंतः फसल के रूप में आलू, लाही, मटर, चना, मसूर, लहसुन, उर्द, मूंग, राजमा, प्याज, भिण्डी आदि फसलों का उत्पादन करके कृषकों की दोगुनी हो सकती हैं। जैव उर्वरकों का प्रयोग करना प्रासंगिक एवं गन्ना फसल के लिए एसीटोबैक्टर, एजोटोबैक्टर एवं पी0एस0बी0 बैक्टीरिया का प्रयोग लाभप्रद बताया। डा0 बी0आर0एस0चैहान, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने गन्ना बुवाई हेतु गन्ने की स्वीकृत प्रजातियों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में को0षा0-8436, 08272, को0-0238, 0118, 98014, को0लख0 94184 मध्य एवं देर से पकने वाली प्रजातियों में को0षा0-767, 97261, 07250, 08279, 12232 को0से0-01434,11453 को0-0124, 05011 आदि तथा जल प्लावित क्षेत्रों के लिए यू0पी0-9530, को0से0 96436 आदि होनहार प्रजातियों में से चयन करके गन्ना बुवाई करना लाभप्रद बताया। डा0 आर0डी0तिवारी, से0नि0 वैज्ञानिक ने गन्ना फसल सुरक्षा प्रबंध पर प्रकाश डालते हुये कहा कि गन्ना फसल को बेधकांे द्वारा ज्यादा क्षति पहुचायी जाती हैं। बेधको का  नियंत्रण करना अति आवश्यक है। चोटी बेधक के नियंत्रण हेतु 30 कि0ग्रा0 कार्बाेफ्यूराॅन 3 जी0 प्रति हैक्टेयर 25 जून से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक नमी की दशा में प्रयोग करने पर चोटी बेधक के नुकसान से गन्ना फसल को बचाया जा सकता हैं। श्री मनोज कुमार सिंह, गन्ना प्रबंधक ने गन्ना पेड़ी की वैज्ञानिक तकनीकी पर प्रकाश डालते हुये कहा कि गन्ना पेड़ी फसल में खाली स्थानों की पूर्ति, उर्वरकों का प्रयोग, मिट्टी चढ़ाना एवं गन्ना फसल की बंधाई आदि कार्य समय से कर लेने पर गन्ना पेड़ी का उत्पादन 10 प्रतिशत अधिक लिया जा सकता हैं। डा0 एस0के0कन्नौजिया, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक, रौजा ने गन्ना कुषकों की समस्याओं का समाधान करने हुये गन्ना विकास विभाग द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला, और बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत गन्ना कृषकों को गन्ना बीज, कीटनाशक दवा, सूक्ष्म तत्व, जैव उर्वरक तथा कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता हैं। किसान भाई इसका अधिक से अधिक लाभ उठायें। श्री प्रमोद कुमार गौतम, सहायक विकास अधिकारी (कृषि), श्री टी0एस0यादव, उपाध्यक्ष (गन्ना), श्री सर्वेष कुमार वर्मा, श्री लज्जाराम वर्मा आदि ने भी गन्ना कषकों को सम्बोधित किया। कार्यशाला में गन्ना विभाग/चीनी मिल के अधि0/कर्मचारियों के साथ साथ क्षेत्र के सैकड़ो प्रगतिशील गन्ना कृषकों ने भाग लिया। कार्यशाला के आयोजन में श्री लज्जाराम वर्मा एवं श्री सर्वेष कुमार वर्मा ग्राम-अकर्रा रसूलपुर का सराहनीय सहयोग रहा।


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