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Friday, December 29, 2017

एससी एसटी व अनुसूचित जनजाति के प्रमोटेड शिक्षक को तगडा झटका; डिमोशन

जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
ऊंचाहार रायबरेली । नियमाविरूद्ध प्रमोशन लेने वाले एससीएसटी/अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार काफी बुरी फंसी है जिसमे जहां उनके डिमोशन करने के फरमान से वह आने वाले सन् 2019 मे लोकसभा के चुनाव को लेकर असमंजस मे दलित वोट को अपने बस मे करने के लिये जहां उनके दावे चले रहे थे वहीं कोर्ट के फैसले ने राजनीतिक पेंच फंसा दिया है हलाकि कोर्ट का फैसला मानते हुए अंदर ही अंदर विभागीय कार्यवाही किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 15-07-1997 से  28-04-2012 तक मे बेसिक विभाग मे एससीएसटी/अनुसूचित जाति के शिक्षकों का प्रमोशन आरक्षण हेतु दिया गया जिस मामले में शिक्षकों का गुट के गीताजंलि शर्मा;विपिन मिश्रा; भगौती प्रसाद चैधरी आदि बनाम बेसिक विभाग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल हुआ जिसमे आरोप लगाया गया कि प्रमोशन का लाभ आरक्षण के अधार पे लिया गया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रमोशन आरक्षण के आधार पे एसएसीएसटी/अनुसूचित जनजाति को देना गलत ठहराया है और उनका प्रमोशन रद्द करते हुए उनको डिमोशन किये जाने का फरमान सुनाया है। जिस मामले मे राज्य सरकार ने बेसिक विभाग को आरक्षण का लाभ लेने वाले लोगों के संदर्भ मे रिपोर्ट तलब किया है। जिस मामले मे कोर्ट के आदेश पे बेसिक शिक्षा विभाग को आरक्षण के लाभ लेने वालों का डिमोशन लिस्ट बनाने के लिये निर्देशित किया है।जिसमे बीएसए संजय शुक्ला ने बताया कि दिनांक 15-07-1997से 28-04-2012 तक मे जिले मे कुल 386 शिक्षकों का प्रमोशन आरक्षण का लाभ लेने हेतु लिया गया है।जिसमे ऊंचाहार ब्लाक के 22 शिक्षक है। आरक्षण का लाभ लेने वाले समस्त शिक्षकों को डिमोशन करने की प्रक्रीया प्रारंभ कर दिया गया है। जिनको डिमोशन की नोटिसे दी जा रही है साथ ही उनको कोर्ट का फरमान का पालन करने के लिये आदेशित किया गया है। हलाकि ये सब उनको उनके साथ के लोगों को उनके प्रमोशन तक अन्य जातियों के न आने तक उनका प्रमोशन तक मे रोक लगी रहेगी।

लोकसभा चुनाव को लेकर बुरी फंसी सरकार


सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बहुत बुरी राजनीतिक धु्रवीकरण के मोड मे खडा किया है। जहां कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार विवश हो गयी है एससीएसटी/अनुसूचित जनजाति के शिक्षको के हुए प्रमोशन पे डिमोशन के लिये वहीं राज्य सरकार को ये भी सता रहा है कि आने वाले लोकसभा के चुनाव मे एसएसीएसटी/अनुसूचित जनजाति के लोग कहीं नाराज न हो जायें।हलाकि कोर्ट के आगे विवश सरकार मामले को दबाना चाहती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवहेलना मे कार्यवाही से बचने के लिये वह कार्यवाही करने के लिये मजबूर है।

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