सप्ताह गुजर गया पुलिस न पकड सकी नवीन गुप्ता के हत्यारे को
बिठूर से मधुकर राव मोघ की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
बिठूर ।यह कैसा है प्रजातंत्र जिसमे एक कलम के सिपाही जो समाज के दबे कुचले शासन प्रशासन से प्रताड़ित लोगों के हक मे अपनी क़लम को इस्तेमाल करता है। उसे ही समाज के दुश्मन इस दुनिया से उठा देते है ताकि कलम का सिपाही उनके पक्ष मे फिर अपनी कलम की धार तेज न कर सके जो समाज मे दबे कुचले लोग है। समझने वाली बात यह भी है कि जानकारी के बाबजूद शासन मे बैठे खुद को प्रजा के सेवक बता ते हैं उनकी चेतना नही जागती है। जिनकी कभी न कभी विरदावरी यही पत्रकार कहा जाने वाला एक तुच्छ प्राणी जो समाज के हक मे जीता है उसे अपने परिवार की भी चिंता नहीं होती है। बस वह अपना जीवन संघर्ष में गुजार देता है। मै ऐसे ही उस निर्भीक कलम के सिपाही हिन्दोस्तान अखबार सजग व इमानदार संवाददाता नवीन गुप्ता जिनकी निरसंस हत्या गत 30 तारीख़ को बिल्होर मे दिन-दहाड़े पहले से घात लगाए हत्यारे ने पांच गोली उनपर दाग कर हत्या कर दी थी।सवाल अभी भी प्रशासन का मुंह चिढा रहा है जो इतने दिन गुजर जाने के बाबजूद उनके हत्यारे को न पकड़ सका जो समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए है जिसकी उन्हे सरकार तनख़्वाह देती है रहा सवाल शासन मे बैठे विधायक,सांसद एवं मंत्री जिनके एक आदेश पर पुलिस के आला अफसर कहलाने वाले जो महज़ प्रभारी और सी ओ का स्थानान्तरण करना ही अपनी जिम्मेदारी समझते है उन्हें यह समझना होगा कि इससे हत्यारों का मनोबल मे इज़ाफा हुआ है। ऐसा ही कुछ वीरवर गणेश शंकर जी के साथ हुआ था जो देश की आजादी के लिए देश क़ुर्बान हो गए थे। सवाल यह भी है कि मुख्यमंत्री जी को भी नवीन भाई के लाचार परिवार की शुध न आसकी है जिस प्रकार पत्रकार नवीन गुप्ता के हत्यारों को पकड़ ने और उनके दु:खी परिवार को न्याय दिलाने के लिये पत्रकार संगठन प्रयासरत है वह और उग्र रूप न लेले शासन को ध्यान देना होगा क़लम का सिपाही क़लम ही चलाएगा उसपर उस पर प्रशासन क्यो न लाठी चला दे पर न्याय पाना दु:खी परिवार का मौलिक अधिकार होगा।
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