जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
रायबरेली। सर्दी बढ़ने के साथ ही गरीबों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। ठंड से बचने के लिए ओवरब्रिज तो कोई गरीब दुकानों के नीचे किसी तरह रात व्यतीत करने को विवश हो रहा है। लेकिन, प्रशासन की ओर से बनाए गए रैन बसेरे पूरी तरह बदहाल हैं। यहां पर अभी तक कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इनकी दशा देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्दी को लेकर अफसर कितने सतर्क हैं। ये रैन बसेरे हर तरफ से खुले पड़े हैं। दिसंबर का आधा महीना बीत चुका है। शाम होते ही सर्दी और बढ़ जाती है। ऐसे में रिक्शा चालकों या फिर मजदूरी करने वाले श्रमिकों के लिए सर्दी काफी दुखदायी साबित होने लगी है। प्रशासन की ओर से शहर में चार रैनबसेरे बनाए गए हैं। इनमें से अधिकांश बदहाल हैं। जिला प्रशासन और न ही नगर पालिका की ओर से इन रैनबसेरों के जीर्णोद्धार का कोई प्रयास किया जाता है। ऐसे में ये महज शोपीस बनकर रह गए हैं। जिला अस्पताल के रैनबसेरे को ही छोड़कर कहीं भी व्यवस्था सही नहीं है। यहां रोगियों के तीमारदारों को ठहरने की कुछ हद तक व्यवस्था ठीक है।
रैनबसेरों में टिकी कब्जेदारों की निगाहें
शहर में बने रैनबसेरों में कब्जेदारों की निगाहें टिकी हुई हैं। कहीं पर होटल खुला हुआ है तो कहीं पर किसी एक तबके का कब्जा है। जेल रोड स्थित स्टेडियम के निकट रैनबसेरे में तो बाकायदा कब्जा करके होटल संचालित किया जा रहा है। इधर से अफसरों के वाहन तो गुजरते हैं, लेकिन किसी आज तक इस ओर ध्यान तक नहीं दिया। वाहन स्टैंड के निकट रैन बसेरा होने के बाद भी लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है।
क्या कहते है जिम्मेदार
सर्दी में शासन की ओर से बजट आवंटित होता है। इसी से अलाव जलवाने के अलावा लोगों को ठंडी से बचाने के लिए अन्य व्यवस्था कराई जाती है। रैनबसेरों के रखरखाव के लिए कोई बजट नहीं रहता है। नगर पालिका को व्यवस्था के लिए निर्देशित किया गया है।
रैनबसेरों में टिकी कब्जेदारों की निगाहें
शहर में बने रैनबसेरों में कब्जेदारों की निगाहें टिकी हुई हैं। कहीं पर होटल खुला हुआ है तो कहीं पर किसी एक तबके का कब्जा है। जेल रोड स्थित स्टेडियम के निकट रैनबसेरे में तो बाकायदा कब्जा करके होटल संचालित किया जा रहा है। इधर से अफसरों के वाहन तो गुजरते हैं, लेकिन किसी आज तक इस ओर ध्यान तक नहीं दिया। वाहन स्टैंड के निकट रैन बसेरा होने के बाद भी लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है।
क्या कहते है जिम्मेदार
सर्दी में शासन की ओर से बजट आवंटित होता है। इसी से अलाव जलवाने के अलावा लोगों को ठंडी से बचाने के लिए अन्य व्यवस्था कराई जाती है। रैनबसेरों के रखरखाव के लिए कोई बजट नहीं रहता है। नगर पालिका को व्यवस्था के लिए निर्देशित किया गया है।
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