शाहजहाँपुर से गौरव शुक्ला की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
शाहजहाँपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव, ने बताया है कि 09 मई दिन बुधवार को माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती प्रेम कला सिंह के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर/कैम्प का आयोजन जिला कारागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती निर्मला द्वारा की गयी। उन्होंने शिविर में बन्दियों को यह बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 व 39 ए में राज्य का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था करें। कानून और न्याय के क्षेत्र में भी गरीब और असहाय व्यक्तियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान किया गया है। कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों से इसलिए वंचित न रहे कि धन की कमी या अन्य किसी कारण से उसे वकील की सेवायें उपलब्ध नहीं हो सकें। कानून ने उसे वकील एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की हैं कोई भी पक्ष अनसुना न रहे इसके लिए यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी मामले में किसी पक्षकार के हितों की पैरवी करने के लिए कोई उचित वकील नहीं है तो कोर्ट ऐसे व्यक्ति के लिए किसी वकील को नियुक्त कर सकता है। साथ ही कोई भी ऐसा व्यक्ति जो गरीब है, फीस अदा किये बिना ही केस दायर कर सकता है। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अन्तर्गत कानूनी सहायता ऐसे हर व्यक्ति को मिल सकती है जो किसी अपराध के लिए अभियुक्त हो या जिसके विरूद्ध फौजदारी न्यायालय में कोई कार्यवाही शुरू हो गई हो, वह अपनी मंशा के वकील द्वारा अपनी रक्षा कर सकता है। जब अभियुक्त के पास अपने बचाव के लिए वकील नियुक्त करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है तब राज्य के खर्च पर वकील उपलब्ध कराया जाता है।उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि बन्दी अपने छोटे-छोटे मुकदमों का जुर्म इकबाल व सुलह समझौते के आधार पर समाप्त करा सकते हैं। कार्यक्रम का सम्पूर्ण संचालन लोक अदालत लिपिक श्री मोहम्मद अफजल द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त इस विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर/कैम्प में जेलर श्री जगदम्बा प्रसाद, डिप्टी जेलर श्री भूपेश कुमार सिंह, अषोक व जेल के बन्दीगण आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में अधीक्षक जिला कारागार श्री राकेश दीक्षित ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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