मोहम्मदी,लखीमपुर खीरी।। विश्व गौरैया दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष वन विभाग सहित अन्य सामाजिक संगठन प्रतिवर्ष मनाते हैं लेकिन इस बार विश्व गौरैया दिवस वन विभाग ने भी कोई दिवस या संगोष्ठी आयोजित नहीं की यह एक विचारणीय प्रश्न है।वन विभाग से संपर्क किया गया को मालूम हुआ मोहमदी में नहीं मनाया गया जिले में शायद मनाया गया हो हम धीरे-धीरे ऐसे परिदृश्य मैं खोते जा रहे हैं।जहां हमें संवेदनशील होना चाहिए वहां हम केवल मूकदर्शक बन ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चुप्पी साध लेते हैं जो एक सोचनीय बिंदु है। विश्व गौरैया दिवस क्यों नहीं मनाया गया मनाना चाहिए था या नहीं इसका सवाल तलाशने की कोशिश कर रहा हूं। ऐसा लगता है कि जैसे ख़त्म मेला हो गया lउड़ गई आंगन से चिड़िया घर अकेला हो गया l जी हां कभी हमारे घर आंगन में चहचहाने वाली गौरैया आज विलुप्त होने की कगार प र है वर्ष 2010 से हम गौरैया संरक्षण के लिए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाते हैं लेकिन शायद हम 20 मार्च के बाद गौरैया को भूल जाते हैं और उसके संरक्षण के कोई उपाय नहीं करते आज मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली तरंगे अनाज में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग शहरों के अलावा गांवों में भी पक्के मकानों की अधिकता वृक्षों का अंधाधुंध कटान तथा भोजन व जल की कमी की वजह से गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है आइए आज के दिन हम गौरैया बचाने के संकल्प के साथ यह प्रण लें कि हम अपने घर की छत पर किसी बर्तन में ताजा पानी रखेंगे और अनाज के दाने प्रतिदिन बिखेरेंगे क्योंकि अगर हम प्रकृति के मित्र प्राणियों पक्षियों चिड़ियों का संरक्षण नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगे।
लखीमपुर खीरी से शिवेंद्र सिंह सोमवंशी की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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