कानपुर के रिहायसी इलाके घातक केमिकल के गोदामों में तब्दील
विकास कुमार कठेरिया क्राइम संवाददाता कानपुर
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर । बेहद हाईरिस्क का "रिस्क" उठा रहा कानपुर जिला प्रशासन। बड़े हादसों को निमंत्रण दे रहा आबकारी एवं जिला प्रशासन।“गंदा है पर धंधा है” यह कहावत कानपुर में आम हो चुकी है “हाई रिस्क है पर मोटा मुनाफ़ा फिक्स है” कुछ इसी अंदाज में धड़ल्ले से कानपुर महानगर में स्प्रिट-थिनर जैसे बेहद घातक रासायनिक पदार्थो का कारोबार जारी है।कानपुर महानगर के दक्षिणी क्षेत्र में आबादी के मध्य छोटा सा गोदाम लेकर बड़े मुनाफ़ाखोर धड़ल्ले से स्प्रिट थिनर जैसे बेहद ज्वलनशील घातक केमिकलो की मैनुफैक्चरिंग एवं पैकेजिंग का कारोबार बड़ी संख्या में कर रहे हैं सैकडों ड्रमो में डंप यह घातक केमिकल महज एक चिंगारी की चपेट में आने मात्र से बड़े विध्वंस का पर्याय बन सकता है परन्तु हाई रिस्क के खेल में मोटा मुनाफ़ा कमाने की चाहत में अरुण अग्रवाल जैसे केमिकल कारोबारी एमएसएमई,जीएसटी के आड़ लेकर मौत बाटने का कारोबार कर रहे हैं। केमिकल कारोबारी अरुण अग्रवाल के मताबिक हम खुलेआम स्प्रिट ,थिनर और कैरोसिन का स्टाक कर पैकेजिंग का कारोबार करते हैं हमें थिनर कारोबार करने का लाइसेंस आबकारी विभाग से दिया गया है। आबकारी अधिकारी अरविन्द मौर्या के मताबिक आबकारी विभाग द्वारा थिनर, स्प्रिट और कैरोसिन कारोबार का कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है हमें ऐसे कारोबार की सूचना से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध कराये हम तत्काल प्रभाव से छापेमारी कर कठोर कार्यवाही करेंगे।हाई रिस्क कारोबार के लिये उत्तर प्रदेश शासन की स्पष्ट गाइड लाइंस हैं ऐसे कारोबार को आबादी क्षेत्र में करने की इजाजत नहीं दी जा सकती परन्तु प्रशासनिक हीला हवाली के चलते आबादी क्षेत्रों में घातक केमिकल का कारोबार खुलेआम जारी है जब कभी लापरवाही के कारण हादसे होते हैं तो प्रशासन जांच की चादर ओढ़ कर अपनी नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास करता है।
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