जिले भर में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार फर्जी डिग्री लिए कर रहे इलाज
रायबरेली।। जनपद की सलोन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत गांव कस्बे तक अनेक झोलाछाप डॉक्टर मरीजों के जीवन से खेल रहे हैं। चारों तरफ फैले इनके संजाल का ही नतीजा यह है कि सेहत महकमा चाह कर भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। अवैध रूप संचालित हो रहे नर्सिंग होम में भले ही डिग्री कानपुर और लखनऊ के डाक्टरों की लगी है, लेकिन इनकी जगह पर उपचार झोलाछाप करते हैं। ऐसा ही एक अस्पताल सलोन पी एच सी के अंतर्गत मानिक पुर रोड पर शेखर क्लिनिक के नाम से संचालित हो रहा है,इस के संचालक आर पी पाल ने हड्डी रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा रखा है,बोर्ड में लखनऊ के एक डॉक्टर अमीर चौधरी का रजिस्ट्रेशन नम्बर लिखा है।इसी बोर्ड में आर पी पाल ने अपने नाम के नीचे डी एन् वाई ए एस लिखवा रखा है,और बेखौफ होकर हड्डी के रोगों का उपचार कर रहा है,यहां पर प्लास्टर चढ़ाने से लेकर हड्डी सम्बंधित अन्य रोगों का भी उपचार किया जा रहा है और मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।इस संबंध में हमने सैलून पी एच सी अधीक्षक से बात की तो उन्होंने बताया कि इस के खिलाफ पूर्व में कार्यवाही की जा चुकी है लेकिन तब यह डॉ अमीर चौधरी की डिग्री का सहारा लिया था और बच गया था,वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी रायबरेली का इस सम्बंध में यह कहना है कि DNYS को सुई लगाने और प्लास्टर करने का अधिकार नहीं है यदि ऐसा किया जा रहा है तो यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है ,इसकी जांच करके झोलाछाप के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।अब प्रश्न यह उठता है कि क्या कोई डॉक्टर एक ही समय मे एक से अधिक स्थानों पर प्रैक्टिस कर सकता है ? क्योंकि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों को यही डॉक्टर संरक्षण देते हैं जिनकी डिग्री की आड़ में यह झोलाछाप अंधी कमाई करते हैं और उस कमाई का एक तय हिस्सा उस डॉक्टर को कमीशन के रूप में देते हैं प्रश्न यह भी है किक्या ऐसे डॉक्टरों के विरुद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए,जिससे यह धंधा पूरी तरह से बंद हो सके। और मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ न हो ।अभी आउछ ही दिनों पूर्व ऊँचाहार के खरौली में एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमे एक झोलाछाप की वजह से एक बच्चे की जान चली गयी थी।इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया और जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर दी जिसके चलते हर तरफ अराजकता है। हकीकत यह है कि निजी नर्सिंग होम में दूसरे की डिग्री पर झोलाछाप उपचार करते हैं। जब इनके मनमाने उपचार से मरीजों की हालत बिगड़ जाती है तो ऐसे मरीजों को तुरंत सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भेज दिया जाता है। झोलाछाप चिकित्सकों ने छोटे कस्बों मैं अस्पताल व नर्सिंग होम के नाम पर अपनी दुकानें सजा रखी हैं। इलाज के दौरान मरीज की हालत बिगड़ने पर रायबरेली, लखनऊ के नर्सिंग होम में भी भेजा जाता है ।जहां मरीज पहुंचने पर संबंधित नर्सिंग होम को प्रति केस कमीशन मिलता है इसी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों का धंधा फल-फूल रहा है। चूंकि नर्सिंग होम में जिन लखनऊ व इलाहाबाद के डाक्टरों की डिग्री लगी है उनकी भी जांच नहीं होती है। अब देखने वाली बात यह है कि इस मामले में स्वास्थ्य महकमे के आलाधिकारी क्या रुख अपनाते हैं,क्या अवैध रूप से संचालित इस क्लिनिक को बंद करवा के इसके संचालक के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी जिससे अन्य झोलाछापों में भय व्याप्त हो और वे भी अपनी दुकान बंद करें या फिर मरीजों के जीवन के साथ इसी तरह यह झोलाछाप खेलते रहेंगे।
यहां पर हैं झोलाछाप
ऊँचाहार, सलोन, जगतपुर सरेनी,लालगंज डलमऊ,बछरावां उमरन,डीह, समेत जिले के अनेक ग्रामीण व इलाकाई क्षेत्रों में झोलाछाप बाकायदा दवाखाना संचालित कर के उपचार कर रहे हैं।
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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