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Saturday, June 29, 2019

प्राइवेट स्कूल अभिभावकों की जेबो पर डाल रहे डाका

मुख्यमंत्री के आदेश को भी  कर रहे दरकिनार


रायबरेली।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा सख्त निर्देश दिए गए थे कि प्राइवेट स्कूलों में फीस के नाम पर किसी भी तरह ऐडमिशन फीस के नाम पर किसी तरह अभिभावकों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े लेकिन रायबरेली का हाल इससे जुदा है तारीफ करनी होगी रायबरेली के बीएसए और जिला विद्यालय निरीक्षक की जिला विद्यालय निरीक्षक की जिन्होंने आदेशों को ताक पर रख कर यह साबित कर दिया है कि आदेश होते ही हैं ठेंगा दिखाने के लिए हम बात कर रहे हैं रायबरेली जहां उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की जिन्होंने आदेश पारित तो जरूर कर दिया लेकिन धरातल पर उनके अधिकारी इस पर क्या काम कर रहे हैं इसकी जानकारी नहीं ली ऐसे तो निशुल्क शिक्षा ग्रहण कराने के लिए सरकार द्वारा एक स्कीम जरूर चलाई गई है जिसमें एक लाख से नीचे वार्षिक आय पाने वाले परिवार के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिले की निशुल्क व्यवस्था भी ऑनलाइन की गई है लेकिन रायबरेली के कितने विद्यालय हैं जिनमें इस योजना का लाभ लाभार्थी को मिल रहा है इसकी जानकारी ना तो बेसिक शिक्षा अधिकारी दे पाते हैं और ना ही जिला विद्यालय निरीक्षक कहने को तो रायबरेली जिले में सैकड़ों की संख्या में कोचिंग संस्थाएं चल रही है लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन चेक करना भी मुनासिब नहीं समझते कुर्सी पर आसीन या अधिकारी समस्या यहीं खत्म होती विद्यालयों में एडमिशन के नाम पर अभिभावकों के जेब में डाका डालने वाले यह विद्यालय पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ फोरम भर पूरा कर खानापूर्ति जरूर कर ली जाती है लेकिन अगर धरातल पर आइए तो शहर क्षेत्र में ही प्राइवेट विद्यालयों की भरमार है अगर सही पड़ताल की जाए तो इन विद्यालयों में शायद रजिस्ट्रेशन की भी खामियां उजागर हो जाएंगे लेकिन यहां विद्यालय की देखरेख करने वाले अधिकारी अभिमान है क्योंकि सब सिस्टम का खेल यहां चलता है या कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह से रायबरेली के शहरी क्षेत्र में प्राइवेट विद्यालयों की भरमार सी है लेकिन कार्यवाही के नाम पर शून्य ही दिखाई पड़ता है री एडमिशन पर जैसे ही सरकार के द्वारा पारित आदेश आया कि अब भी एडमिशन के नाम पर किसी भी तरह का कोई भी शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जाएगा तो स्कूलों के प्रबंधकों और मालिकों ने भी इसका तो निकाल लिया और इसे मेंटेनेंस और स्कूल के रखरखाव का नाम दे दिया अगर जिले में बैठे हुए शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पर कार्यवाही करते तो शायद 2 दिन स्कूलों को छोड़कर सभी विद्यालय आदेशों के घेरे में आ जाते और उनके ऊपर कार्यवाही भी होती लेकिन मंचों से और सभाओं में भाषण देकर कार्यवाही की चर्चा तो जरूर कर दी जाती है लेकिन रायबरेली में चल रहे विद्यालय जिस तरह से इस को मुंह चिढ़ा रहे हैं इस पर कार्रवाई जरूर बनती है सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भी इस ओर ध्यान देना होगा ऐसे मानक विहीन विद्यालय जो विद्यालय के रखरखाव  के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका तो जरूर डाल देते हैं लेकिन अगर इनका औचक निरीक्षण किया जाए इस भीषण गर्मी में ढाई साल 3 साल और 4 साल के बच्चे किस तरह से अपनी कक्षाओं में  गर्मी का सामना कर रहे हैं और वहां बैठे प्रबंधक जेसीओ की हवा खा रहे हैं यह भी देख लीजिए और जिले में बैठे हुए शिक्षा विभाग की भागदौड़  अपने हाथों में लिए अधिकारी अगर इस ओर ध्यान दे दे तो शायद प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन भी करेंगे और शायद इन्हीं स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे में से आपका भी बच्चा हो सकता है उसके लिए भी आप एक महत्वपूर्ण कार्य जरूर करेंगे।


जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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