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Monday, September 3, 2018

सच लिखने की सजा जेल हो सकती है

शिवेंद्र सिंह सोमवंशी
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

सच्चाई के रास्ते में कांटे बहुत हैं और यह बिल्कुल सही बात है परंतु सच्चाई को डगमगाना नहीं चाहिए। पत्रकार अगर एकजुट  हो जाएं तब पूरे हिंदुस्तान की तस्वीर बदल जाएगी और पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगा परंतु ऐसा धरातल पर होना नामुमकिन लग रहा है। एक पत्रकार ही ऐसा व्यक्ति होता है जो अपनी जान को जोखिम में डालकर जगह-जगह पर कवरेज करता है और शासन और प्रशासन को आइना दिखाता है। और सच्ची खबरों पर जांच शुरू हो जाती है और उसके बाद जांच में केवल खानापूर्ति बहुत कुछ बयां करती है। आज की जनता बहुत ही समझदार है और जनता को बहुत कुछ समझ में आ भी रहा है चाहे भले ही मैं न लिखूं। लगभग सभी अधिकारी जब अपने ऑफिस में बैठे रहते हैं तब उनको कैसे पता होगा कि कहां पर भ्रष्टाचार हो रहा है? केवल माध्यम है पत्रकार की लेखनी जिससे पता चलता है कि कहां पर क्या हो रहा है? जिस जांच में किसी का अगर भला हो रहा है ,किसी को धन अर्जित हो रहा है तब उस पत्रकार के ऊपर झूठी FIR कराई जाएगी ताकि दोबारा लिखने की हिम्मत न करें परंतु सोशल मीडिया ने इतना क्रेज बढ़ा दिया है कि खबरें इतनी ज्यादा वायरल होने लगी हैं कि मजबूरी में उस पर कार्रवाई करना ही करना है। जिन खबरों पर कार्यवाही होती तब किसी को तो दिक्कत होगी ही और तब वह दिक्कत केवल और केवल जेल हो सकती है। पत्रकार का धर्म होता है देश में व्याप्त कुरीतियों का आइना दिखाना इसलिए पत्रकार धमकियों से डरता नहीं है चाहे FIR कराओ,जेल भेजो या फिर रोड एक्सीडेंट में मार दो। आज अक्सर देखा जा रहा है कि लोग सोशल मीडिया की जगह जगह बैठकर बुराई करते हैं और खबरें भी सोशल मीडिया के लोगों से ही मांगते हैं। कुछ चुनिंदा लोगों ने खाई पैदा करने का काम किया है कि कैसे पत्रकारों की एकता को भंग किया जाए ?कैसे एक दूसरे के बारे में जानकारी ली जाए ? जानकारी देने में कोई एतराज नहीं लेकिन एक दूसरे की बुराई करना महापाप है ।केवल एक कप चाय पत्रकार को पिला दी जाती और पत्रकार इतने में ही खुश हो जाता है।यह बहुत ही बड़ा दुर्भाग्य एक समय था जब अधिकारी या नेता पत्रकार को खुद आमंत्रित करता था परन्तु  आज के दौर में पत्रकारिता का लोग ठेका लेने लगे हैं। विभीषण तब बना जाता है जब कोई रावण हो।

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