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Friday, September 28, 2018

पत्नी का मालिक नहीं पति एडल्टरी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

एजेंसी समाचार। सुप्रीम कोर्ट ने'आज'158साल पुराने एडल्टरी कानून को खत्म कर दिया" iPC" की धारा 497. की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर 'अगस्त' में सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला, सुरक्षित रख लिया था, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5' जजों की बेंच ने इस मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया फैसला पढ़ते वक्त चीफ जस्टिस'दीपक'मिश्रा ने कहा के पति पत्नी का मालिक नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने कहा के धारा 497. महिला और पुरुष में भेदभाव' दर्शाता है, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 497 असंवैधानिक है" पांच जजों की बेंच से 'एडल्टरी" को अपराध नहीं माना वहीं, इस मामले पर याचिकाकर्ता के वकील राज कल्लिशवरम" ने कहा कोर्ट के फैसले के बाद CPC 192 और 497 खत्म हो गया"।
1-: (सुप्रीम कोर्ट) ने एडल्टरी कानून को चुनौती देने
वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा पति'पत्नी
का मालिक नहीं है" महिला की गरिमा सबसे ऊपर है
और महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है।
2-: कोर्ट ने कहाके महिला-पुरुष केअधिकार समान
है' जबकि ( iPC 497 ) महिला को पुरुष' के अधीन
बताता है कोर्ट ने ये'भी कहा पति पत्नी को ईमानदार
होना जरूरी है"।
3-: (iPC की धारा 497) की वैधता को चुनौती देने
वाली 'याचिका' पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने
कहा के विवाह से अलग संबंध बनाना गलत नहीं है"।
4-: जस्टिस'नरीमन ने कहा'के एडल्टरीअपराध नहीं
पर तलाक, के लिए वाजिब वजह हो सकता है" कोर्ट
ने कहा चीन जापान में भी एडल्टरी अपराध नहीं है"।
5-: (सुप्रीम'कोर्ट चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा)ने बड़ा
फैसला सुनाते हुए कहा के iPC की धारा 497असंवै
धानिक) है iPC की धारा 497 महिला के सम्मान के
खिलाफ है (497.) पुरुषों को मनमानी का अधिकार
देती है"।
6-: जस्टिस मिश्रा ने कहा के मूलभूत 'अधिकारों" में
(महिलाओं)के'अधिकारों' कोभी शामिल किया जाना
चाहिए एक व्यक्ति का सम्मान'समाज'की पवित्रता से
अधिक' जरूरी "महिलाओं" को नहीं कहा जा सकता
है के उन्हें समाज के हिसाब से सोचना चाहिए"।
7-: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता, वाली
(5 सदस्यीय संविधान पीठ)'में 'जस्टिस खानविलकर
(जस्टिस चंद्रचूड़) (जस्टिस नरीमन)और जस्टिस इंदु
मल्होत्रा) इस फैसले पर एकमत हुए'157साल पुराने
कानून को कोर्ट ने खत्म' करते हुए कहा'के ये निजता
का मामला है"।
8-: जस्टिस'खानविलकर नेअपना फैसला पढ़ते हुए
कहा के लोकतंत्र' की खूबसूरती है, मैं तुम" और "हम
जहां हर किसी को बराबरी का अधिकार है और पति
पत्नी का मास्टर नहीं है"

महिला को भी पुरुष के बराबर ही अधिकार हैं

9-: व्यभिचार के साथ अगर कोई अपराध' ना हो तो
इसे •अपराध• नहीं• माना जाना चाहिए" संसद ने भी
महिलाओं के खिलाफ घरेलू, हिंसा पर कानून बनाया
हुआ है।
10-: 158 साल पुरानी iPC की धारा'497के तहत
अगर कोई शादीशुदा पुरुष ( किसी अन्य ) शादीशुदा
महिला के साथ'(रजामंदी) से शारीरिक संबंध बनाता
है'तो उक्त महिला का पति'एडल्टरी के नाम'पर संबंध
बनाने वाले पुरुष के खिलाफ ,केस दर्ज" करा सकता
है" हालांकि' (इसी प्रकार के मामले में व्यक्ति) अपनी
पत्नी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।

अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

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