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Thursday, November 22, 2018

दर्जनो किसानो ने अन्याय के विरोध मे थाने का किया घेराव

कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर। सरकार एक तरफ किसानो को राहत पहुंचाने का दावा करती है वही दूसरी तरफ दशको से जिस जमीन पर हल चलाकर अन्न पैदा कर जहाँ अपने परिवार का भरण पोषण करता रहा साथ ही देश के विकाश मे योगदान करता रहा। आज उसी किसान को उसके अधिकार से बेदखल किया जा रहा है। जिसके विरोध मे आज किसानो ने बिठूर थाने का घेराव कर दिया सभी का कहना था जब हमे सरकार ने पट्टा किया था तो फिर उसे क्यो छीना जा रहा है।भिडय्या की सुनीता की माने तो उसके पिरवार के पा लगभग चौदह बीघा खेत थे जो छीन लिए गए थे अब महज चार बीघा ही बचे  जिसे छीने जाने का प्रयास कतिपय लोगो द्वारा धन के लालच मे किया जा रहा है । अन्य पीडित महिलाओ ने सुनीता का समर्थन करते हुए उनके उत्पीडन किये जाने की स्वीकारोक्ती की इश्वरीगंज के ललित कुमार की माने तो 2017 मे दो बीघा का उसे पट्टा दिया गया था पर तेजनारायण की दम्बगयी के चलते कब्जा नही मिल रहा है।ईधर भाजपा के मत्स्य प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक 'एडवोकेट' रमेश वर्मा की माने तो
आज जो खुशहाल गंज के ग्राम समाज की कृषि भूमि का जो विवाद है यह विगत कई वर्षों से हैं  किन्तु विगत वर्ष सिर्फ ईश्वरीगंज के निवासियों तक ही सीमित कर दिया गया,जबकि पूर्व में इस ग्राम के निवासी रहे लोगों के द्वारा भी पचासों वर्षों से कृषि कार्य किया जाता रहा है,जिनके घर 1962 की विकराल बाढ़ में बह गए थे और वे लोग भिडैय्या,भारत पुरवा आदि गांवो में बस गए। वोटर लिस्ट में दूसरी ग्राम सभा में शामिल होने के बावजूद जहाँ इनके बुजुर्गो ने कृषि कार्य किया उसी पर करते रहे। विगत 2007 में उक्त लोगों को भी पट्टे हुए थे ।विगत वर्ष प्रशासन द्वारा मात्र ईश्वरीगंज के निवासियों को ही जारी किए जा सके। प्रशासन को सूझ बूझ से इस समस्या का समाधान करना चाहिए। इसमें कुछ किसान श्रेणी तीन के काश्तकार है जिनके पट्टे विगत बसपा सरकार द्वारा निरस्त कर दिए गए  लेकिन वह किसान कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं। सभी गरीब लोग है। क्षेत्र की गद्दी राजनीति भी आग में घी डालने का काम न कर समाधान पर ध्यान दे तो रास्ते निकलेगे।

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