कानपुर से मधुकर मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर। विचित्रता भी परम्परा का रूप ले लेती है ऐसा ही कुछ है सिंहपुर मे लगने वाले इस मेला की जिसे कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन याने प्रतिपदा को इस मेला मे आने वाले मेलार्थी मिट्टी से बनी हाडी लगी दुकान से खरीदते है बाद अपनी पसन्द के जानवर कबूतर मुर्गा बकरा सूअर यहाँ तक बकरा का मांस खरीदी गयी मटकी मे पकने के लिए रख देते है बाद मेला मे लगी शराब देशी अंग्रेज़ी यहाँ तक कटोरी मे अवैध रूप से बनी देशी ठर्रा को लाकर जमकर पीते है जहाँ तक सवाल इस मेला लगाए जाने का तो इस मेला की परम्परा अब से सैकड़ो साल पुरानी हो चली है। कहते है तीर्थ स्थल बिठूर मे दान पुण्य एवं गंगा मैया मे गोते लगाने के बाद जब मेलार्थी का मन विलासिता या फिर ब्यव की तरफ उन्मुख होता था तो वह इसी मेला की तरफ भागता था। हालाकि समाज सेवी रहे राजाराम यादव ने बताया था उक्त मेला राजाओ डाट बाट का द्योतक था जो अब आम और खास की चाहत बन गया।
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Saturday, November 24, 2018
मेला राजाओ डाट बाट का द्योतक था जो अब आम और खास की चाहत बन गया : राजाराम यादव
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