मधुकर मोघ की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर । केन्द्र हो या प्रदेश सरकार गंगा की सफाई को लेकर सैकडो योजना रोज बनाती रहे पर जब तक जल जीवों की सुरक्षा निश्चित न हो जल की गन्दगी पर विराम लग पाना लगभग असम्भव ही नही ना मुमकिन है। यह प्राकर्तिक रहा है योजनाएं विभागीय कमाई का साधन मात्र है। जन अधिकार एशोसिएशन के प्रदेश महासचिव प्रदीप शुक्ला के मुताबिक जब कल वारी घाट से बिठूर छप्पन प्रमुख घाटों को प्रशासनिक तौर पर प्रतिबन्धित किया गया था । तो शिकारियों को महज तागीद दिया जाना कहाँ तक जायज है। जैसा की सूत्र बताते है सरकार ने डॉल्फिन को तो सुरक्षा के घेरे मे ले आए पर सैकड़ों प्रजाति को विरत कर दिया जबकी देशी प्रजातियां अलावा कछुए गंगा के जल को साफ रखने मे अपना योगदान करते है । हालात यह है कि इन प्रतिबन्ध घाटो पर सिकार पर प्रतिबंध ना काफी साबित हो रहा है। अब पुलिस कहाँ कहाँ की सुरक्षा सुनिश्चित करे। लोगो का मानना है की जो यूनिट इस कार्य को ब्यक्तिगत रूचि दिखा रात दिन अपनी जान पर खेल जलजीवो सुरक्षा सुनिश्चित करते है उन्हे ही सुरक्षा के लिए प्रमाण पत्र दे सक्रीय कर दे। बीती रात ब्रह्मावर्त घाट के सामने गंगा में अवैध रूप से शिकार करने पहुंचे शिकारी को गंगा सुरक्षा दल के सदस्यों ने सिकार के लिए रोकना चाहा । पर गंगा सुरक्षा दल के सदस्यों को चारों ओर से मछुआरों ने घेराबंदी कर बोला हमला बाल बाल बचेसभी सदस्य राजू बाबा कल्लू मिश्रा अंकुर शर्मा बच्चा तिवारी ने बताया की पुलिस को सूचना देने के बावजूद उन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती हे। ना ही कोई पुलिस प्रशासन की ओर से कोई सहयोग मदद न मिलने के कारण खुले आम बिठूर के गंगा घाटों पर कछुवा मछली का अवैध शिकार हो रहा है। और गगा सुरक्षा दल के सदस्यों को व जलीय जीवों को जान का खतरा बना रहता है ।और सदस्यों को धमकी देकर शिकार करते हैं और प्रशासन मौन है ।अब दारोगा का यह कहना कि मेला हो जाने दो फिर उठाते है शिकारियो को उनके घर से।
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Thursday, February 15, 2018
दरोगा बोले मेला निपटने दो उठाते है शिकारियों को
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