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Thursday, February 15, 2018

स्वम्भू जागेश्वर की गहराई पाताल तक गहरी है

कानपुर से मधुकर मोघ की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
कानपुर।। शिव मंदिरों में शिवली कस्बा का प्राचीन जागेश्वर मंदिर अपने आप मे अनोखा है। इसे स्थापित नही किया गया है। यहां के शिवलिंग के बारे में मान्यता है। कि ये सीधे पाताल की अतुल गहराई तक जुड़ा हुआ है। भक्तों की अगाध आस्था है। यहा बड़ी संख्या में भक्त दर्शनार्थ आते हैं। इसी शिवलिंग के नाम पर कस्बे के नाम शिवली पड़ा है। कानपुर-बिधूना रोड पर पांडव नदी किनारे शिवली कस्बा बसा है। इसी कस्बे के उत्तर में प्राचीन शिवमंदिर जागेश्वर स्थापित है। इसी मंदिर में स्वम्भू शिवलिंग विराजमान है।  मंदिर के पुजारी राकेश पूरी ने बताया कि पुराने समय में कई बार शिवलिंग की खुदाई हुई। बावजूद शिवलिंग का दूसरा छोर नही मिलसका। बुजुर्ग रामचंद्र शुक्ल,शिवकिशोर शुक्ल,महावीर तिवारी,महेश पांडेय,सरला सैनी,गोपाल,रामचंद्र तिवारी, जगदीश यादव,शिवकुमार तिवारी,जटाशंकर शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि अतिप्राचीन समय में खाना बदोस बंजारे पांडव नदी के बियाबान जंगल से होकर जाते थे। एक बार बंजारों का डेरा पड़ा। उनकी एक गाय ऊंचे टीले पर स्वतः अपना दूध गिरा देती थी। लालच में बंजारों ने खुदाई की। तब भूमि से शिवलिंग निकला। काफी समय बाद अठारहवीं शताब्दी में शिवभक्त देवनाथ दुबे ने इस शिवलिंग पर मंदिर का निर्माण करा दिया। और भक्तों की सुविधा के लिए तालाब व कुएं का निर्माण करवाया था। शिवलिंग के बारे में भक्तों में अगाध आस्था है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग दर्शनार्थ यहा आते हैं। जो  भक्त इनके दर पर अपना माथा टेकता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। प्रति वर्ष  महाशिवरात्रि पर शिवली कस्बे मे धनुष यज्ञ  का मचंन होता है ।

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