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Friday, February 9, 2018

शिव भक्त कावरियो का मेला अपने शबाब पर

बिठूर से मधुकर राव मोघ की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
बिठूर स्थानीय गंगा के घाटों पर कांवरियों का मेला लगा हुआ है उसे शिव भक्तो का शैलाब कहा जाए तो गलत न होगा । हर हर महादेव बम बम भोले के जयकारों से गूंज उठा  बिठूर की हर गली शिव मय हो गयी है। गंगा घाट गंगा तट पर  पूजन करने के बाद जल भरकर लोधेश्वर महादेव के लिए हुए रवाना होना इन भक्तो के गंतव्य का सूचक है। लोधेश्वर महादेव पर जल चढाए जाने की परम्परा सैकडो सालो से चली आ रही है। जग चर्चित कथा है की सैकडो साल पहले जिला बाराबंकी निकट एक गाँव मे लोध जाति का एक चरवाहा रहा करता था। उसकी गाय एक दिन जंगल मे एक झाडी मे अपना दूध विसर्जन कर आती थी। यह गाय की हरकत एक दिन चरवाहे की नजर मे आगयी।उसे क्रोध आ गया उसने उस झाडी के नीचे खोदा तो वहा एक शिव लिंग प्रगट हो गया।गाय द्वारा रोज दूध कम देने का कारण भी समझ मे आगया। गैर पढा चरवाहे ने अपने हाथ मे लिए लाठी को उस शिवलिंग पर दे मारी। समय बीतता गया अब उसके द्वारा लिंग नुमा पत्थर पर लगभग प्रतिदिन वह लाठी मारने लगा। एक दिन पानी जोरदार बरसा  निकट बहने वाला नाले ने नदी का रूप ले लिया बस यहीं से भोले नाथ का चमत्कार हुआ प्रारम्भ आज चरवाहा बारिश की वजह से उस पत्थर पर लाठी मारना भूल गया। वह अपने सामने भोजन की परोसी गयी थाली छोड दी और उफान पर आए नाले को पार कर वह उस जगह पहुँचा जहाँ वह पत्थर पर लाठी मारा करता था।कहते है नियम और भक्ति मे बन्धे भोले नाथ जिन्हे अव ढर दानी भी कहा जाता है।प्रगट हो गये और वरदान स्वरूप लोधेश्वर नाम देते हुए उस शिव स्थान को नाम देते हुए कहा कि आज से यह लिंग लोधेश्वर के नाम से ही जाना जाएगा। बताते है आज भी सच्चे मनसे भक्त जल चढाता है। तो यहाँ किसी किसी के जल पात्र का जल दूध बन जाता है तो मन्दिर कमेटी उस पात्र के जल को रामेश्वरम जला भिषेक के लिए मन्दिर के खर्चे पर भेज देते है । एक समय था जब लोध सम्प्रदाय के लोग मन्दिर कावर सजाके शिव लिंग पर जल चढाने जाया करते है। कावर मे ठढेश्वरी दूसरी वैकुण्ठी कहलाती है। पर अब अपनी आस्था विश्वास और मनौती के पूर्ण होने पर जलाभिषेक को जाया करते है। कानपुर समेत जालौन,बुन्देलखण्ड,मध्यप्रदश , राजस्थान आदि इलाके के भक्त बहुतायत मे जाते है।इधर जलीय जीवो की सुरक्षा में लगे गंगा सुरक्षा दल के सदस्य रात और दिन जल जीवो की सुरक्षा करते हैं। निगरानी वह प्रत्येक रविवार को स्पर्श गंगा स्वच्छता एवं जागरूकता अभियान बिठूर के गंगा घाटों पर श्रमदान महादान करते हैं।

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