जावेद आरिफ रायबरेली ब्यूरो चीफ
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
खीरों रायबरेली । एक ओर सरकार किसानो की आय दोगुनी करने का ढिढोरा पीट रही है। दूसरी ओर किसानो की खून पसीने की कमाई से तैयार हो रही फसल को अवारा जानवर चट कर रहे है। हाड़कपाती भीषण ठण्ड मे किसान अपने घरो से निकाल कर रात को खेतो मे पहरा दे रहे है। दो चार घण्टे रखवाली करने के बाद जब वो घर आ जाते है तो उसी बीच अवारा जानवर किसानो की फसल को साफ कर देते है। सरकार ने किसानो की इस समस्या की ओर यदि ध्यान न दिया तो आने वाले समय मे किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच जाएंगे। न नहरों मे पानी है, बिजली के हाई लोवोल्टेज से किसानो की मोटरे फुंक रही है। जिससे किसानो को लाभ तो नही मिल रहा है किन्तु उसकी कमर खेती मे टूटी जा रही है। ऐसे मे किसान की आय दोगुनी होना कैसे सम्भव होगा। किसानो को अपनी फसल बचाने के लिए सरकार को बाड़ बनाने के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे वह अपने खून-पसीने की कमाई से तैयार की गयी फसल को बचा सक
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खीरों रायबरेली । एक ओर सरकार किसानो की आय दोगुनी करने का ढिढोरा पीट रही है। दूसरी ओर किसानो की खून पसीने की कमाई से तैयार हो रही फसल को अवारा जानवर चट कर रहे है। हाड़कपाती भीषण ठण्ड मे किसान अपने घरो से निकाल कर रात को खेतो मे पहरा दे रहे है। दो चार घण्टे रखवाली करने के बाद जब वो घर आ जाते है तो उसी बीच अवारा जानवर किसानो की फसल को साफ कर देते है। सरकार ने किसानो की इस समस्या की ओर यदि ध्यान न दिया तो आने वाले समय मे किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच जाएंगे। न नहरों मे पानी है, बिजली के हाई लोवोल्टेज से किसानो की मोटरे फुंक रही है। जिससे किसानो को लाभ तो नही मिल रहा है किन्तु उसकी कमर खेती मे टूटी जा रही है। ऐसे मे किसान की आय दोगुनी होना कैसे सम्भव होगा। किसानो को अपनी फसल बचाने के लिए सरकार को बाड़ बनाने के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे वह अपने खून-पसीने की कमाई से तैयार की गयी फसल को बचा सक
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