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Thursday, January 18, 2018

पत्थर घाट के महाकालेश्वर का पुरसाहाल

बिठूर ।बिठूर जो कि पौराणिक एवं ऐतिहासिक नगरी है। यहां प्रतिदिन कोई ना कोई नेता एवं अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहता है। परंतु इसके बावजूद भी बिठूर स्थित पत्थर घाट पर महाकालेश्वर मंदिर की बहुत ही दुर्दसा है जहां एक तरफ केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार बिठूर के विकास के लिए कई तरह की योजनाओं पर कार्य कर रही है, वहीं  पत्थर घाट पर स्थित एतिहासिक महाकालेश्वर बाबा का मंदिर स्थित है, जोकि दिनोंदिन जर्जर हाल होता जा रहा है। इस मंदिर से अनेकों श्रद्धालुओं की आस्था जुडी है। मंदिर में प्रतिदिन नियमानुसार सायंकाल को भस्म आरती व बाबा महाकालेश्वर का श्रृंगार भी होता है। जिसमें की कई श्रद्धालु शामिल होते हैं, मंदिर में स्थापित बाबा महाकालेश्वर का शिवलिंग लगभग 250 से 300 वर्ष पूर्व लखनऊ के नवाब सिजाउद्दौला बताते है उन्हे घुड सवारी का बहुत शौक था। मंत्री टिकैत राय काफी चतुर थे सो एक गजमुक्ता हाथी की कीमत खजाने से हासिल कर लाल पत्थर से घाट एवं उस पर महाकालेश्वर बाबा का मंदिर बनवाया था। बताते है कि बादशाह के पूछे जाने पर राय जोकि काफी बुद्धिमान और चतुर थे बादशाह को बताया हुजुर हाथी और अरबी घोडे गंगा के उस पार तो पहुच गए है।आपको नदी किनारे पहुच देखना होगा बाद सरकार जो हुक्म करेगे बादशाह ने उस पार आ देखा बहुत खुश हुए। आज हालात यह हैं कि मंदिर में स्थापित काले कसौटी पत्थर से निर्मित शिवलिंग जो कि आज की दशा में दिनों दिन टूटता जा रहा है उसे लेकर ना तो सरकार कदम उठाती है। बिठूर के पेशवा नगर निवासी मोहन तिवारी ने बताया की मैंने कई प्रयास किया कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की ताकि मंदिर एवं शिवलिंग का जीर्णोद्धार कराया जा सके ।अगर विभाग ना करा सके तो हमें बताए हम सभी श्रद्धालु मिलकर यह कार्य कर लेंगे, परंतु ना तो अधिकारियों ने इस कार्य को कराने का स्वयं से कोई प्रयास किया और ना ही हमें किसी प्रकार का आश्वासन दिया। हालत के चलते जिस प्रकार आदम कद त्रिशूल भग्नावशे लगा दिया गया वैसाही मन्दिर मे स्थित भक्तो के आस्था के प्रतीक  शिवलिंग  अपना अस्तित्व खो देगा।

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