रायबरेली। रिफार्म क्लब में चल रहे तीन दिवसीय आध्यामिक पर्व मानस संत सम्मेलन के पूर्णांहुति दिवस पर जगद्गुरू श्रीश्री 108 स्वामी रामस्वरूपाचार्य चित्रकूट मध्य प्रदेश ने अपने प्रवचन के माध्यम से सुधी श्रोताओं को बताया कि राम नाम से बढ़कर राम की कथा है। राम की कथा विरह, वियोग का समाधान भी है। माता जानकी जब लंका के अशोक वाटिका में थी तो कहती थी कि राक्षसी त्रिजटा से कहती थी कि माँ मेरे लिए लकड़ी लाकर चिता बनाओं मैं उसमें अपने को भस्म कर लूंगी। राम का नाम जीवन तो दे सकता है परन्तु व्यथा को खत्म श्री राम कथा ही कर सकता है। हनुमान जी जब अशोक वाटिका में पहुॅचे तो माता जानकी को विरह करते सुना और मौका पाकर राम की कथा सुनाई तब माता जानकी को व्यथा से मुक्ति मिली। इसी प्रकार 14 वर्ष का वनवास खत्म होने के पश्चात भगवान श्री राम को अयोध्या पहुॅचने में हो रहे विलम्ब से भरत जी भैय्या राम के न आने से व्यथित हो गये थे, और अपना जीवन त्यागने के लिए बार-बार कह रहे थे। भगवान राम पहुॅचने में विलम्ब होने के कारण अपने दूत हनुमान के भरत के पास भेजा कि हनुमान तुममें ही यह क्षमता है कि तुम भरत को संभाल सकों। हनुमान जी भरत के पास पहुॅचे और उनकी विरह की स्थिति देखकर साथ ही प्रतीक्षारत हजारों नर-नारियों को देखकर जब भरत जी के पास पहुॅचे तो भरत जी और भी निराश हो गये और इस जीवन को त्यागनें के लिए प्रयासरत देखकर हनुमान जी ने कहा कि आप जीवन का त्याग क्यों करेंगे भगवान तो आ गये है। भरत जी ने कहा हनुमान तुम मुझे बातों में न उलझाओं हनुमान ने अपना हृदय चीर कर भरत को भगवान के दर्शन कराये। भरत हनुमान के गले लग गये परन्तु उपस्थित नर-नारियों ने कहाकि राम के दूत से गले मिलने से क्या राम से गले मिलना हेगा। इस संवाद को सुनने के कुछ ही देर बाद भगवान राम वहॉ वापस आ गये। लोग उनसे मिलने के लिए भाव विवल थे। सब को देखने के बाद जब माता केकई को नहीं देखा तो भगवान वहॉ रूके नहीं माता केकई के पास पहुॅचे जो अपने निरस्कार की स्थिति से गुजर रही थी। 14 वर्ष तक किसी ने उन्हें महल के बाहर नहीं देखा। राम वहॉ पहुॅचकर माता को दण्डवत किया, आशीर्वाद मांगा और भरत की गलतियों के लिए क्षमा याचना की। माता ने कहा कि भरत आकर यदि माँ कह कर क्षमा मांगता है तो मैं उसे क्षमा कर दूंगी। भरत जी को बुलाया गया आने के बाद व बाहर ही दण्डवत करके खड़े हो गये। भगवान ने उन्हें कहा कि आओं तब भगवान राम माता केकई के गोद में बैठ गये और उन्होने भरत को कहा कि भरत मैं कहा बैठा हूॅ भरत ने उत्तर दिया आप अपने माँ की गोद में बैठे है। यह सुनकर माता केकई ने कहा कि मैने कहा था वह मुझे माँ नहीं कहेगा। लेकिन भरत महात्मा है उसकी बात सारे जहाँ के लोग विश्वास करेंगे। और राम तुम परमात्मा हो यह दुनिया जानती है। मेरा सौभाग्य है कि भरत के मुख से मुझे कहा गया कि मैं राम की माँ हूॅ। यानि मैं महात्मा और परमात्मा दोने की माँ हूॅ। इस प्रकार गुरू जी ने कहा कि भाई-भाई सम्पत्ति के लिए बल्कि विपत्ति के लिए होना चाहिए। राम की कथा से दूसरे का सम्मान करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। पश्चात भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ जानकी जी के तीनों माताओं ने राजरानी के रूप में सजाया व संवारा गया। इस तरह तीन दिवसीय मानस संत सम्मेलन मंगलवार को अगले वर्ष के लिए विश्राम पर चला गया। जगद्गुरू के आने के पूर्व श्री तुलसी किंकर जी व भजनों पदेशकर राम प्रकाश जी ने भावपूर्ण से भजन सुनाया जगदगुरू के आगमन पर पादुका पूजन पं0 देवी प्रसाद पाण्डेय द्वारा कराया गया। जगद्गुरू का समिति के पदाधिकारियों व गणमान्य नागरिकों द्वारा मार्ल्यापण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया। इस अवसर पर उमेश सिकरिया, सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘मन्टू’, राकेश तिवारी, राधेश्याम कर्ण, राकेश कक्कड़, गोपाल श्रीवास्तव, डा0 तारा जायसवाल, राघवेन्द्र द्विवेदी, राजबहादुर सिंह, सुक्खू लाल चांदवानी, स्वामी ज्योर्तिमयानन्द जी महाराज, अतुल भार्गव, करूणा शंकर त्रिपाठी, ललित बाजपेयी, महेन्द्र अग्रवाल, शंकर लाल गुप्ता, आशीष त्रिपाठी, प्रेम नारायण द्विवेदी, शिवमनोहर पाण्डेय, राजेन्द्र अवस्थी, मिलिंद द्विवेदी, राघव मुरारका एवं जगमोहनेश्वर धाम कमेटी के सदस्य गण एवं बड़ी संख्या में भक्तश्रोतागण उपस्थित रहे।
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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