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Friday, July 28, 2017

तहसीलदार के कार्यालय में तैनात संविदा कप्यूटर आपरेटर खुद बन बैठा तहसीलदार

तहसीलदार के कार्यालय में तैनात संविदा कप्यूटर आपरेटर खुद बन बैठा तहसीलदार

अक्राॅस टाइम्स हिन्दी समाचार पत्र
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली 
खीरों रायबरेली । भ्रष्टाचार की आँधी में ईमानदारी का दीपक नहीं जलता है। सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का भले ही प्रयास कर रही हो। लेकिन यह कहावत खीरों ब्लॉक में सही साबित नही हो रही है। जहाँ प्राथमिक विद्यालयों के नौनिहालों से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र आय, निवास और जाति प्रमाण पत्रों के लिए हफ्तों से भटक रहे हैं। लेकिन तहसीलदार के कार्यालय में तैनात एक संविदा कप्यूटर आपरेटर खुद तहसीलदार बनकर काम कर रहा है। छात्रों का शोषण कर अपने खुद के सहज जन सेवा केन्द्र के माध्यम से नाजायज वसूली कर रहा है। पैसा न देने वालों को आय, जाति और निवास आदि प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिससे छात्र छात्रवृत्ति के आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। उधर तहसीलदार मामले से अंजान बनते हुये अपना पल्ला झाड रहे हैं। छात्रवृत्ति के आवेदन करने और प्रवेश आदि के लिए सरकार द्वारा सभी छात्रों से आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं। जिसके लिए खीरों क्षेत्र के सभी विद्यालयों के छात्रों ने अनेक जन सुविधा केन्द्रों के माध्यम से प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ऑन लाइन आवेदन किया है। सेवनपुर निवासी उजागर पुत्र राम औतार ने 9 जुलाई को आय जाति और निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। जबकि इसी गाँव के बच्चनलाल पुत्र छोटेलाल ने 4 जुलाई को और दुकनहा निवासी राज सिंह पुत्र रामराज सिंह ने 30 जून को आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था ।लेकिन आजतक उन्हे प्रमाण पत्र नहीं मिले। उपरोक्त लोगों ने बताया कि तहसीलदार लालगंज जगन्नाथ सिंह के कार्यालय में खीरों क्षेत्र के गाँव निहस्था निवासी राम दुलारे यादव संविदा कर्मी के रूप में कम्प्यूटर आपरेटर हैं। राम दुलारे यादव ने अपने गाँव निहस्था में प्राथमिक विद्यालय के सामने सहज जन सेवा केन्द्र भी खोल रखा है। जो लोग इनके केन्द्र से प्रमाण पत्रों के लिए आवेदन करते है उन्हे तो एक सप्ताह के अन्दर प्रमाण पत्र बनकर मिल जाते हैं। लेकिन दूसरे केन्द्रों के आवेदन  दूसरे क्षेत्र के लेखपाल की आई डी में डाल देते हैं। जिससे उन्हे महीनों चक्कर लगाने के बाद दोबारा राम दुलारे के ही जन सेवा केन्द्र से आवेदन करना पड़ता है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि आय , जाति और निवास प्रमाण पत्रों का तहसील में वैधानिक शुल्क 20-20 रुपये है। लेकिन राम दुलारे 100 से 500 रुपये तक लोगों से वसूल रहे हैं। सभी आवेदन जन सेवा केन्द्रों से तहसीलदार की आई डी पर डाले जाते हैं। तहसीलदार की रिपोर्ट लगने के बाद लेखपाल की आई डी में भेजे जाते हैं। लेखपाल की रिपोर्ट के बाद पुनः तहसीलदार के डिजिटल साइन होने के बाद आवेदक को प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। लेकिन जन सेवा केन्द्रों से आए आवेदनों को राम दुलारे खुद तहसीलदार बनकर उनकी आई डी खोलकर रिपोर्ट लगाकर दूसरे क्षेत्र के गलत नाम से लेखपाल की आई डी में आवेदन डाल देते हैं। जिससे वह कभी भी बन नहीं पाता है। जब आवेदक विवश हो जाता है तो निहस्था जाकर राम दुलारे के जन सेवा केन्द्र से दोबारा आवेदन कर 500 रुपये देकर प्राप्त करता है। यह गोरख धंधा कई वर्षों से चल रहा है। इस बाबत सेवनपुर निवासी उजागर और कालूपुर निवासी सुरेश कुमार ने जिलाधिकारी रायबरेली के जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत भी की है। लेकिन आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है। क्षेत्रीय अभिभावकों और छात्रों ने जिलाधिकारी से मामले की जाँच कराकर दोषी को सजा दिलाने और नियमित रूप से प्रमाण पत्र बनवाने की मांग की है। तहसीलदार जगन्नाथ सिंह ने बताया कि राम दुलारे यादव मेरे कार्यालय में संविदा कंप्यूटर आपरेटर के रूप में काम कर रहा है। मेरी आई डी पर अधिकांश वही काम करता है। लेकिन मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। मामले की जाँचकर कार्यवाही की जाएगी।

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