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Monday, February 19, 2024

योगगुरु रामदेव ने शिप्रा की राम जानकी पद यात्रा को दिया आशीर्वाद

अयोध्या से रामेश्वरम तक जाने वाली वाटर वूमन शिप्रा पाठक की पद यात्रा का कर्नाटक पहुंचने पर हुआ भव्य स्वागत


रिपोर्ट : आदित्य भारद्वाज
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
दिल्ली। अयोध्या से रामेश्वरम तक सरयू से सागर तक जाने वाली भारत की मातृ शक्ति द्वारा पहली राम जानकी वन गमन पद यात्रा आम जनमानस में राम जानकी के नाम का प्रसार करते हुए उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या से चलकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के जंगलों से होते हुए कर्नाटक पहुंच गईं। अपनी पद यात्रा के दौरान वाटर वूमन शिप्रा पाठक को पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगगुरु बाबा रामदेव का आशीर्वाद मिला। इस दौरान योग गुरु ने शिप्रा के अयोध्या से रामेश्वरम तक के पैदल यात्रा की हिम्मत की सराहना करते हुए कहा आज के युवाओं को संस्कृति और प्रकृति दोनों बचाने के लिए आगे आना पड़ेगा। उन्होंने पद यात्रा के पश्चात शिप्रा को पतंजलि आने पर योगपीठ के छात्रों से यात्रा के संस्मरण साझा करने की बात कही। शिप्रा पाठक ने योग गुरु द्वारा दिए गए सानिध्य का धन्यवाद देते हुए कहा कि अयोध्या से रामेश्वरम तक की यात्रा में रास्ते में पड़ने वाली विभिन्न नदियों के जल से रामेश्वरम भगवान का जलाभिषेक किया जायेगा। उन्होंने राम वन गमन मार्ग पर राम जानकी वाटिका बनाने हेतु योग गुरु रामदेव का सहयोग एवं आशीर्वाद मांगा।
आपको बताते चलें शिप्रा की यह पद यात्रा 27 नवंबर को अयोध्या से चली थी। यात्रा के आगे बढ़ने के साथ साथ पूरे भारत के लाखों लोग इस यात्रा से जुड़ रहे हैं जिसमें कई समाजसेवी संगठन, संत समाज, वरिष्ठ राजनेता, संघ परिवार के अलावा पत्रकार बंधु शामिल है। शिप्रा की यह पद यात्रा भारत की पहली सरयू से सागर यात्रा होने के चलते जगह जगह रामभक्तों द्वारा पुष्प वर्षा करके आदर सत्कार किया जा रहा है। इसी क्रम में कर्नाटक पहुंचने पर रामभक्तों ने शिप्रा का जय श्रीराम के नारे के साथ आदर सत्कार किया। इस दौरान शिप्रा ने वहां रामभक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में भारत को पूरे विश्व में आध्यात्मिक राजधानी के रूप में देखेंगे जिसमें अयोध्या विश्व स्तर पर पहला आध्यात्मिक शहर होगा जहां से भगवान राम के संस्कारों के अलावा माता जानकी के चरित्र को भी लोग जानने आयेंगे। उन्होंने कहा भगवान राम को जानने के लिए राम वन गमन मार्ग को भी जानना होगा क्योंकि भगवान राम भी प्रकृति प्रेमी थे इसीलिए उन्होंने अपने वन गमन मार्ग में गंगा, यमुना, सरस्वती, सरयू, गोमती, नर्मदा, गोदावरी, भीमा, मंदाकिनी जैसी प्रमुख नदियों को स्पर्श किया। इसके अलावा अपने वन गमन में संत समाज का आशीर्वाद लेने के साथ जीव जंतुओं के भी पारस्परिक संवाद बनाया जिसके फलस्वरूप ही उन्होंने रावण जैसे राक्षस का वध किया। शिप्रा की पद यात्रा अगले कुछ दिनों में कर्नाटक स्थित हनुमान जन्मस्थली हम्पी पहुंचेगी जहां कई सामाजिक संगठन पद यात्रा में भाग लेंगे।

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