Translate

Friday, January 12, 2018

यूरिया खाद बनी मुसीबत किसान दर दर भटकने को मजबूर

जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
महराजगंज रायबरेली । किसानों के लिए तो सभी सरकारे  अपने आप को मसीहा कहतीं है पर खरी नहीं उतर पाती है जिसका जीता जागता उदाहरण सामने आया है। फिर से यूरिया खाद बनी मुसीबत किसान दर दर भटकने को मजबूर। बाजार में यही यूरिया अधिक दामों पर किसान खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। सोसाइटियों में खाद की कमी से किसान इधर उधर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। क्षेत्रीय किसान की इस समय कमर टूटती जा रही हैं पिछले तीन चार वर्षों से यहां का किसान दैवीय आपदा का शिकार होकर बर्बाद हो गया, इस बार पानी न बरसने से उसकी फसल में रौनक नहीं आ रही है। जैसे-तैसे उसने खेतों की सिंचाई कर फसल तो बो ली। बस उसे गेंहू की फसल में यूरिया लगाने की आवश्यकता है। किसान यूरिया के लिए अपने-अपने क्षेत्र की सोसाइटियों पर जा रहा है, परंतु सोसाइटियों पर खाद उपलब्ध न होने पर उसे मजबूरी में खाद खरीदने के लिए बाजार में आना पड़ता है। कुछ यही हाल बाजारों में भी है, जहां प्राइपेट में 370 से लेकर 450 तक प्रति बोरी खाद बेची जा रही है। जबकि इसका शासन द्वारा निर्धारित मूल्य 326 रुपये है।  खाद उपलब्ध न होने पर मजबूरन किसानों को अधिक दामों पर खाद की खरीद करनी पड़ रही है। वह भी कौन सी खाद मिल रही है जिसका किसानों ने कभी नाम भी नहीं सुना है खाद की कमी होने से खाद विक्रेता भी रुपये कमाने के लिये नकली खाद असली बोरी में भर कर किसानों को लूटने का काम कर रहे है जिसके चलते किसानों में गहरा रोष व्याप्त है। महराजगंज क्षेत्र के किसान राज कुमार रमेश विंध्या विजय कुमार राम हरी जगदीश राधेश्याम सुरेश कुमार ने बताया की यूरीया खाद गेहूं में डालने के लिये महराजगंज हलोर मौऊ हरदोई थुल्वाश आदि चैराहों पर खाद विक्रेता इतनी मनमानी तरीकें से बेच रहे है की मानो उनको सरकार का कोई डर ही नहीं है जबकी पूर्व की सरकार में कभी खाद के लिये कभी समस्या नहीं आयी है। जिसको लेकर मौजूदा सरकार के प्रति किसानों में भारी आक्रोष व्याप्त है।

No comments: