धान खरीद में कमीशनबाजी की जांच कराये जाने की मांग
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
महराजगंज रायबरेली। राइसमिलरों व एसएमआई की सेटिंग गेटिंग के चलते किसान अपनी फसल को औने पौने दामों में बेंचने को मजबूर हो रहे हैं या फिर केन्द्रो के चक्कर काट रहे हैं। बताते चलें कि नवम्बर माह से शुरू हुई खरीद में एसएमआई की खरीद बराबर चल रही है फिर भी किसान राइसमिलरों व अढ़तियों के यहां धान तौल कराते देखे जा रहे हैं। क्षेत्र के किसानों के अनुसार एसएमआई की यहां धान तौलाने वालो को अधिकारियों से लेकर एफसीआई तक चावल पहुंचाने में होने वाले खर्चो की बात कह कमीशन पर ही धान तौल होने की बात कही जा रही है। बताते चलें कि सरकार तो हर वर्ष किसानों की फसल को उचित मूल्य देने के लिए खरीद केन्द्रो की स्थापना कर उन केन्द्रो की व्यवस्था के लिए करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा देती है परन्तु यह अधिकारी किसानों को उनका हक देने को कौन कहे उनके ही हक पर डाका डालने से बाज नही आ रहे हैं। खरीद केन्द्रो पर पहुंचने वाले किसानों को केन्द्र प्रभारी बोरे न होने, खाते में पैसा न होने, अत्यधिक भीड़ होने आदि बहाने करके उन्हे चक्कर पर चक्कर लगवाते हैं ताकि मजबूर किसान उनका कमीशन देने को किसी तरह तैयार हो जाय। वहीं इसके उलट यह अधिकारी राइस मिलरों व छोटे व्यापारियों तक से कमीशन सेट कर उन्ही का धान तौलाने में व्यस्त रहते हैं। बताते चलें कि नवम्बर माह से लेकर दिसम्बर माह के बीच बाजार में किसानों का धान 1300 से 1350 रूपये तक तौल कराया जाता रहा है जिसे व्यापारी एसएमआई से सेटिंग गेटिंग कर सरकारी धन लेकर लाभान्वित होने के साथ साथ अधिकारी भी लाभान्वित हो रहे हैं। ऐसी स्थित में सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है कि केन्द्रो पर हुई तौल में कितने रूपयों की बंटरबांट राइमिलरों, अढ़तियों व केन्द्र प्रभारियों के बीच हुई है। किसानों की माने तो कागजों मे चल रही इस खरीद का पर्दाफास होने पर करोड़ो की हेरा फेरी सामने आ सकती है। क्षेत्र के कुछ बुद्धिजीवी किसानों ने अभियान चलाकर पूरी व्यवस्था में हुई धांधली की शिकायत व सीबीआई जांच कराये जाने की मांग करने की तैयारी में हैं वहीं जनप्रतिनिधि भी इस बार हुई धांधली की चर्चा सदन में करने की तैयारी कर रहे है।
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