जावेद आरिफ रायबरेली ब्यूरो चीफ
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
बछरावाँ रायबरेली । स्थानीय कस्बे के ओवर ब्रिज के नीचे अवैध रूप से लगी दुकानों के बारे मंे छपी खबर से उन लोगों में जो इन गरीब दुकानदारों से फुटपाथ पर लगाने का पैसा ले रहे थे उनमें हड़कम्प मचा हुआ है।इस तरह फुटपाथ पर दुकाने लगवाकर उनसे भी किराया वसूलने वाले ठेकेदारों ने इन गरीब व्यापारियों को आगे करके आन्दोलन करने का मन बना लिया है। ज्ञात हो कि पुल के नीचे से लेकर लखनऊ, लालगंज व रायबरेली रोड पर लगी दुकानों व गुमटी वालांे से अधिकांश लोगों से जिन लोगों की पीछे मकान अथवा दुकाने है वह लोग एक हजार से लेकर दो हजार रू0 प्रतिमाह किराया वसूल करते है। अगर इन अवैध अतिक्रमण किये हुये दुकानदारों पर कार्यवाही होती है तो दुकानदारों का कम इन ठेकेदारों का नुक्सान होने की ज्यादा सम्भावनाएँ है। इस तरह के ठेकेदारों द्वारा इस लड़ाई में व्यापार मण्डल को आगे करने की रणनीति तय की गयी है जबकि वास्तविकता यह है कि विगत तीन वर्षों से व्यापार मण्डल कि न तो कोई मेम्बरशिप हुयी है और न ही कहीं संगठन नजर आ रहा है। कुछ लोगंेा के द्वारा स्वयं को मनोनीति पदाधिकारी बताकर रौप गाठा जा रहा है। क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग की मांग है कि तत्काल प्रभाव से इस तरह के अवैध दुकानदारों को हटवाकर कहीं अन्यत्र इनकी व्यवस्था करायी जाये ताकि हाराम का किराया लेने वाले ठेकेदारों की आमदनी पर अंकुश लग सके।
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बछरावाँ रायबरेली । स्थानीय कस्बे के ओवर ब्रिज के नीचे अवैध रूप से लगी दुकानों के बारे मंे छपी खबर से उन लोगों में जो इन गरीब दुकानदारों से फुटपाथ पर लगाने का पैसा ले रहे थे उनमें हड़कम्प मचा हुआ है।इस तरह फुटपाथ पर दुकाने लगवाकर उनसे भी किराया वसूलने वाले ठेकेदारों ने इन गरीब व्यापारियों को आगे करके आन्दोलन करने का मन बना लिया है। ज्ञात हो कि पुल के नीचे से लेकर लखनऊ, लालगंज व रायबरेली रोड पर लगी दुकानों व गुमटी वालांे से अधिकांश लोगों से जिन लोगों की पीछे मकान अथवा दुकाने है वह लोग एक हजार से लेकर दो हजार रू0 प्रतिमाह किराया वसूल करते है। अगर इन अवैध अतिक्रमण किये हुये दुकानदारों पर कार्यवाही होती है तो दुकानदारों का कम इन ठेकेदारों का नुक्सान होने की ज्यादा सम्भावनाएँ है। इस तरह के ठेकेदारों द्वारा इस लड़ाई में व्यापार मण्डल को आगे करने की रणनीति तय की गयी है जबकि वास्तविकता यह है कि विगत तीन वर्षों से व्यापार मण्डल कि न तो कोई मेम्बरशिप हुयी है और न ही कहीं संगठन नजर आ रहा है। कुछ लोगंेा के द्वारा स्वयं को मनोनीति पदाधिकारी बताकर रौप गाठा जा रहा है। क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग की मांग है कि तत्काल प्रभाव से इस तरह के अवैध दुकानदारों को हटवाकर कहीं अन्यत्र इनकी व्यवस्था करायी जाये ताकि हाराम का किराया लेने वाले ठेकेदारों की आमदनी पर अंकुश लग सके।
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