छतोह, रायबरेली। धीरे धीरे ही सही, लोगों को पूरे विश्व में फैलती जा रही कोरोना की विषाणु जनित महामारी का मतलब समझ में आने लगा है। प्रबुद्ध लोग ही नहीं, अनपढ़ भी यह कहते सुने जा सकते हैं कि रोटी से ज्यादा जीवन ज़रूरी है, जब जिन्दा ही नहीं रहेंगे तो रोज़ी रोटी क्या करेंगे?थाना नसीराबाद के अशरफपुर, पूरे रमजान, परैया नमक्सार, बभनपुर आदि गांवों में जुमे की सामूहिक नमाज़ के बजाय अपने अपने घर पर ही अलग-अलग नमाज़ अदा करने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों को समझाया जा रहा है।कोरोना की महामारी के कारण हालात को देखते हुए विभिन्न मुस्लिम धर्मगुरुओं, इमामों द्वारा ज़ारी किये गए वक्तव्यों से अवगत कराते हुए उन्हें पुलिस की टीम समझा रही है। थानाध्यक्ष नसीराबाद रवीन्द्र सोनकर जहां क्षेत्र में रातों दिन गश्त कर के पल पल हालात पर नज़र गड़ाए हैं वहीं शासन और उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने में उपनिरीक्षक पुरुषोत्तम दास, उपनिरीक्षक अजय यादव, आरक्षी रघुनाथ सिंह, श्रीराम आदि उनका भरपूर सहयोग कर रहे हैं। आम जनता को चिकित्सा और राशन जैसी आवश्यक सुविधायें मुहैया हैं, किन्तु जीवन की सुरक्षा हेतु घरों से निकलने के लिए मना किया जा रहा है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नसीराबाद के चिकित्सक डॉ. मोहित सिंह, डॉ.आंनद शंकर, डॉ.अब्बास ,शैलेश सिंह सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी पूरी तरह मुस्तैद हैं।सड़कें सूनी हैं, सन्नाटा पसरा हुआ है, कभी-कभी कोई इक्का-दुक्का जरूरतमंद उनके वजूद को ज़िन्दा कर देता है।
जावेद आरिफ ब्यूरो चीफ रायबरेली
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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