खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर फेरा जा रहा पानी
नवाबगंज (उन्नाव)। जहाँ एक तरफ यूपी सरकार खेलों को गाँवों तक ले जाकर प्रतिभाओं को निखारने के बड़े बड़े दावे कर रही है वही दूसरी तरफ सरकार के इन दावों और वादों को खोखला करने में सरकार के अधीनस्थों ने भी कोई कोर कसर बाकी नही रखी है । बताते चलें कि इण्टर मीडियट कॉलेज स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन प्रति वर्ष होता आया है, जिसमे इंटर कॉलेज के छात्र छात्राएं पहले तहसील स्तर फिर जनपद स्तर, फिर मंडल स्तर,फिर प्रदेश स्तर तथा बाद में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होकर अपने कॉलेज सहित राज्य का नाम रौशन करते आये हैं । इन्हीं प्रतिभाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का परचम फहराया है।किन्तु जब प्रतिभाओं को अवसर ही नही दिया जाएगा तो यह प्रतिभाएं परचम तो दूर की बात है शायद खेलों से भी विमुख हो जाएंगी। हम बात कर रहे हैं जनपद उन्नाव की तहसील हसनगंज की , इस तहसील का प्रतिनिधित्व सम्भवतः इस बार की जंपदीय खेलकूद प्रतियोगिता में नही होगा ।
ज्ञातव्य हो की तहसील हसनगंज की खेलकूद प्रतियोगिता करवाने का दायित्व श्याम लाल इण्टर कॉलेज , नवाबगंज के जिम्मे है किंतु वहां के प्रधानाचार्य द्वारा गत वर्ष भी जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र लिखकर कॉलेज में स्थिति एक एक भवन को जर्जर होने का हवाला देते हुए प्रतियोगिता से पल्ला झाड़ लिया था किंतु इसी कॉलेज के शिक्षक एवं खेलकूद के तहसील प्रभारी धर्मेश प्रताप सिंह के प्रयासों से प्रतियोगिता सम्पन्न हुई और बालक वर्ग में जनपद में चैमियनशिप भी जीती । प्रतियोगिता इस बार भी होनी है सूत्रों की माने तो प्रधानाचार्य गत वर्ष का रोना इस बार भी जिला विद्यालय निरीक्षक से रोया, और पत्र लिखकर उसी "जर्जर भवन" की वजह से खेलकूद कराने में असमर्थता जताई है ।अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वह भवन वास्तव में जर्जर है ? इस जर्जर भवन को किस अभियंता द्वारा जाँचा गया ?
इस जर्जर भवन के परिप्रेक्ष्य में जब प्रधानाचार्य से बात की गई टी उन्होंने साफ कह दिया कि किसी ने भी नही की मैने स्वयं पुस्टि की है जब उनसे इस बारे में बात की गई कि क्या कोई तहसील स्तरीय या नगर पंचायत से सम्बंधित कर्मियों ने जर्जर भवन की रिपोर्ट लगाई तो उन्होंने कहा किसी की भी रिपोर्ट नही लगी है मैंने जिला विद्यालय निरीक्षक को खुद बोला था कि भवन जर्जर हैं उस पर वो बोले कि भवन में क्लासेस बन्द करा दीजिये ऐसी हालत में प्रतियोगिता आयोजित होने पर किसी भी हादसे की जिम्मेवारी किसकी होगी?यक्ष प्रश्न यह हैं कि भवन का क्या स्थलीय निरीक्षणकिया गया, क्या उसके मानक जांचे गयें क्या जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा कोई जर्जर भवन को घोसित करने के लिये कोई टीम भेजी किया गया ? अथवा जिला या जिला विद्यालय निरीक्षक ने कोई समिति इस बाबत भेजी की क्या खेलों में उस कथित जर्जर भवन की वजह से व्यवधान होगा ये ऐसे अहम् प्रश्न बनकर सामने खड़े हो रहे हैं जिसका जवाब शायद मिल सकें।
किंतु निराकरण की स्थिति शून्य सी बन गयी है । खेल हों या न हों इससे किसी अधिकारी कर्मचारी को कोई सरोकार नही रह गया , वह प्रतिभाएं जो एक वर्ष से लगातार कठिन परिश्रम से अपने खेल को नियमित किये हुए थे उनका क्या होगा ? कौन करवाएगा उनको प्रतिभाग ? क्या ऐसे ही पूरा होगा यूपी सरकार का सपना।
उन्नाव नवाबगंज से अंकित कुमार की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र
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