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Saturday, September 30, 2017

वासनात्मक प्रेम से ईश्वर की प्राप्ती असम्भव     "रिचा माधव"  

वासनात्मक प्रेम से ईश्वर की प्राप्ती असम्भव     "रिचा माधव"  

बिठूर से मधुकर राव मोघे की रिपोर्ट
अक्रॉस टाइम्स हिंदी समाचार पत्र

बिठूर । प्रेम गंगा के जल से भी पवित्र होना चाहिये जिस प्रकार रूक्मणी ने माधव से किया था। और श्री कृष्ण ने उनके प्रेम का पूरा मान रखा था।यह आशिव्रचन रिचा माधव ने बिठूर टीला रोड स्थित मैदान मे आयोजित श्री मद भागवत के मंच से कहे।उन्होने युवाओ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज वास्नात्मकता को प्रेम समझ बैठते है बाद खुद को छला पाते है और परिवार को अपमान का कडवा घूट पीना पडता है। पहले मरियादा का खयाल रखा जाता था किन्तु आज लाज शरम छोड देते है लोग यही कारण है ईश्वर की भगत की निकटता कम हो चली है। इस मौके पर आरगन पर महेश,नाल पर महबूब , ने अच्छा साथ निबाहा तो तबले पर दिनेश यादव ने ताल मात्रा का खयाल न रख लोगो के लिए टिप्पणी के पात्र बन गए।

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