शिक्षण शुल्क में कोई वृद्धि 3 वर्ष तक नही की जायेगी। शुल्क में जब वृद्धि की जायेगी तो वह 10 प्रतिशत से अधिक नही होगी
शाहजहाँपुर। जिलाधिकारी कर्ण ंिसह चैहान ने अपने आदेश में कहा है कि गतवर्ष आदेश तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा आदेशित किया गया था कि नवीन शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने के उपरान्त जनसुविधा केन्द्र तथा प्राप्त अन्य शिकायती प्रार्थना पत्रों के क्रम में यह बात संज्ञान में आयी है कि मान्यता प्राप्त (परिषदीय, सी0बी0एस0ई0बोर्ड) निजी विद्यालय प्रबन्धको/प्रधानाध्यापको द्वारा अध्ययनरत छात्रों के अभिभावको से निर्धारित शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त मदों में मनमाना शुल्क जमा करने तथा अभिभावको से किताबे, स्टेशनरी का सामान, ड्रेस आदि मनमाने दामों से क्रय करने तथा अनेक शुल्क वसूल कर अभिभावको का शोषण करने की शिकायतें प्राप्त होने के क्रम में (परिषदीय, सी0बी0एस0ई0बोर्ड) निजी विद्यालय प्रबन्धको/प्रधानाध्यापको को निर्देश दिये जाते है कि आप उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या-418/79-6-2013-18 एस(7)/89 शिक्षा अनुभाग-6 लखनऊ दिनांक 08.05.2013 द्वारा हिन्दी व अग्रेजी माध्यम के मान्यता प्राप्त विद्यालयो में अध्ययनरत छात्रों के शुल्क हेतु निर्देश प्रदान किये गये है उक्त शासनादेश में दिये गये निर्देशों को सी0बी0एस0ई0 बोर्ड द्वारा भी मान्य किया गया है। उक्त शासनादेश के अन्र्तगत समस्त मान्यता प्राप्त विद्यालयों द्वारा छात्रों से शिक्षण शुल्क एवं महगाई शुल्क मिलाकर उतना मासिक शुल्क स्वीकार किया जायेगा जो अध्यापको/कर्मचारी कल्याणकारी योजना का अंशदान वहन करने के लिये पर्याप्त हो इसके अतिरिक्त शिक्षण शुल्क तथा महंगाई शुल्क से विद्यालय की वार्षिक आय में वेतन भुगतान के पश्चात शुल्क आय से 20 प्रतिशत से अधिक बचत न हो शिक्षण शुल्क में कोई वृद्धि 3 वर्ष तक नही की जायेगी। शुल्क में जब वृद्धि की जायेगी तो वह 10 प्रतिशत से अधिक नही होगी। विद्यालय द्वारा शिक्षण शुल्क, मंहगाई शुल्क, विकास शुल्क, बिजली पानी आदि, पुस्तकालय एवं वाचनालय, विज्ञान शुल्क, श्रब्य शुल्क, परीक्षा एवं मूल्यांकन, विद्यालय समारोह एवं उत्सव, विशेष विषयो की शिक्षा/कम्प्यूटर संगीत आदि मदांे में शुल्क लिया जा सकता है।उन्होंने कहा कि पंजीकरण शुल्क, भवन शुल्क तथा कैपिटेशन के रूप में कोई फीस विद्यार्थियों से लेना वर्जित होगा। मान्यता प्राप्त विद्यालय 25 प्रतिशत अलाभित समूह के गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगें, परन्तु यह प्रतिबन्ध असहायता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नही होगा। विद्यालय बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम की धारा-19 एवं अनुसूची में विहित स्तर एवं मानको को स्थापित रखेगा।जिलाधिकारी ने कहा है कि उक्त आदेश का समस्त प्रबन्धक/प्रधानाध्यापक, समस्त मान्यता प्राप्त विद्यालय (हिन्दी व अग्रेेजी माध्यम) कड़ाई से अनुपालन करें।
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